इजरायल-हमास के बीच युद्ध घातक मोड़ पर पहुंचने के दौरान मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फेतह अल सिसी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर अहम वार्ता हुई है। इस दौरान दोनों नेताओं ने मानवीय परिस्थितियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। साथ ही शांति बहाली के रास्ते खोजने में भी दिलचस्पी दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार रात मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी से बात की और इजराइल तथा फलस्तीन के बीच जारी युद्ध के मद्देनजर पश्चिम एशिया में बिगड़ती सुरक्षा और मानवीय स्थिति पर चिंता जताते हुए शांति तथा स्थिरता की शीघ्र बहाली पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार सुबह सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘कल, राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी से बात की। पश्चिम एशिया में सुरक्षा और मानवीय स्थिति पर चर्चा की। हम आतंकवाद, हिंसा और नागरिकों के जीवन के नुकसान के बारे में चिंताओं को साझा करते हैं। हम शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली और मानवीय सहायता मुहैया कराने पर सहमत हैं।’’ प्रधानमंत्री मोदी की अस सिसी से यह बातचीत उस अपील के कुछ दिन बाद हुई है जिसमें मिस्र के राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व समुदाय को गाजा संघर्ष को बढ़ने से रोकना चाहिए। उन्होंने कहा था कि पूरा क्षेत्र ‘टाइम बम’ पर बैठा है। मिस्र की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति अल सिसी के पास प्रधानमंत्री मोदी का फोन आया और दोनों नेताओं ने गाजा पट्टी में इजराइली सैन्य अभियानों से जुड़े ताजा घटनाक्रमों पर चर्चा की।
मिस्र ने युद्ध को लेकर दी ये चेतावनी
बयान में कहा गया कि उन्होंने मौजूदा तनाव के जारी रहने से नागरिकों के जीवन पर पड़ने वाले इसके भयानक प्रभाव और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर खतरे के संबंध में भी चर्चा की। मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता काउंसलर अहमद फहमी ने कहा कि राष्ट्रपति अल सिसी ने पुष्टि की है कि मिस्र संघर्ष विराम तक पहुंचने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के समन्वय की अपनी पहल को आगे बढ़ा रहा है। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने गाजा पट्टी में जमीनी हमले के गंभीर मानवीय और सुरक्षा परिणामों के बारे में चेतावनी दी। बयान के मुताबिक अल सिसी ने राजनयिक स्तर पर एक त्वरित समाधान खोजने के लिए एकीकृत अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया जो नागरिकों के जीवन की रक्षा करने वाले तत्काल मानवीय संघर्ष विराम को मजबूत करता हो।
उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र महासभा में 27 अक्टूबर को अपनाए गए प्रस्ताव के अनुसार होना चाहिए जिसमें गाजा पट्टी को मानवीय सहायता के तात्कालिक, स्थायी और निर्बाध पहुंच की बात की गई है। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति अल सिसी और प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के उत्कृष्ट स्तर पर संतोष व्यक्त किया। (भाषा)
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