पाकिस्तानी आतंकियों, श्रीलंका के तमिलों और बांग्लादेशी रोहिंग्यों के बाद अब म्यांमार के लोग भी भारत मेंं घुसपैठ करना चाहते हैं। ऐसे में भारत ने मिजोरम से लकर असम तक सीमा सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया है। ताकि कोई घुसपैठिया भारत में कदम नहीं रख सके। शरणार्थियों को भारत सबसे मुफीद और सुरक्षित लगता है। इसलिए वह सभी भारत में ही ठिकाना बनाने आ जाते हैं और यहां कई समस्याओं का कारण बनते हैं।
दरअसल इस समय म्यांमार में लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है और वहां मिलिट्री का कुशासन है। ऐसे में काफी संख्या में अब म्यांमार के लोग भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। सूचन मिलते ही असम रायफल्स, मिजोरम में भारत और म्यांमा सीमा के 510 किलोमीटर लंबे हिस्से पर चौकसी बढ़ाने का ऐलान किया है। ताकि पड़ोसी देश से अवैध प्रवासियों को देश में घुसने से रोका जा सके। असम रायफल्स ने म्यामां में सैन्य तख्तापलट के बाद वहां के लोगों द्वारा मिजोरम में शरण लेने के बाद "हत्या के मामलों सहित अपराध की घटनाओं की बढ़ती संख्या" पर भी चिंता व्यक्त की।
असम रायफल्स सतर्क
असम रायफल्स के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा, "हम अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए भारत-म्यांमा सीमा पर अधिकतर क्रॉसिंग बंद कर देंगे। अवैध घुसपैठ मिजोरम में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बाधित कर रही है।" उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और म्यांमा, दोनों देशों के कई शरणार्थियों या अवैध प्रवासियों ने नकली भारतीय पहचान पत्र हासिल किए हैं। मिजोरम, बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम रायफल्स, गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने के बाद चरणबद्ध तरीके से अपने बटालियन मुख्यालय को आइजोल से जोखावासंग में स्थानांतरित कर देगा। जोखवासांग, राज्य की राजधानी से 15 किमी दूर है। उन्होंने कहा कि अब तक, स्थानांतरण के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है और समझौता ज्ञापन तैयार किया जा रहा है।
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