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नेतन्याहू के कड़े रुख के बाद अमेरिका ने छोड़ी गाजा में युद्धविराम की जिद, ब्लिंकन ने अरब नेताओं को भी दिया जवाब

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा गाजा में अल्प युद्धविराम की मांग को खारिज कर दिए जाने के बाद अब अमेरिका ने भी अपना रुख बदल लिया है। अमेरिका ने अरब नेताओं द्वारा युद्धविराम का दबाव मानने से इन्कार कर दिया है। जबकि पहले अमेरिका भी इजरायल पर युद्ध विराम का दबाव बना रहा था।

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन अरब नेताओं के साथ। - India TV Hindi Image Source : PTI अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन अरब नेताओं के साथ।
गाजा में अमेरिका और अरब द्वारा अल्प युद्ध विराम की मांग को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा ठुकराए जाने के बाद इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है। अब तक मानवीयता का हवाला देते हुए गाजा में अल्प युद्ध विराम की मांग पर अड़ा अमेरिका भी नेतन्याहू के कड़े रुख को देखने के बाद पीछे हट गया है। अमेरिका और अरब नेताओं की मांग पर नेतन्याहू ने साफ कह दिया था कि गाजा में युद्ध विराम का मतलब आतंकियों को प्रोत्साहित करना और उन्हें ऐसे अन्य हमले करने का मौका देना है। साथ ही नेतन्याहू ने यह भी कहा था कि मानवीय दृष्टि से अल्प युद्ध विराम तभी संभव है, जब हमास आतंकी 240 बंधकों को मुक्त कर दें। नेतन्याहू की ये शर्त अब अमेरिका को भी समझ में आ गई है। 
 
लिहाजा अमेरिका भी अब अल्प युद्ध विराम की जिद छोड़ दी है। वहीं इजरायल-हमास युद्ध में हजारों फिलस्तीनी नागरिकों की मौत की निंदा कर रहे अरब नेताओं ने शनिवार को तत्काल संघर्षविराम पर जोर दिया। इस पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने आगाह किया कि ऐसा कदम प्रतिकूल होगा, क्योंकि इससे आतंकवादी समूह को और हिंसा करने का बढ़ावा मिलेगा। मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, कतर और अमीरात के राजनयिकों के साथ दोपहर की वार्ता के बाद ब्लिंकन ने चर्चा को गाजा में नागरिकों की रक्षा करने और उन तक सहायता पहुंचाने की साझा इच्छा बताया।
 
अरब नेताओं के संग बैठक से 1 दिन पहले नेतन्याहू से मिले थे ब्लिंकन
अरब देशों और ब्लिंकन के संदेशों में विसंगति स्पष्ट है। ब्लिंकन ने इस बैठक से एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बंद कमरे में बातचीत की थी। अरब मंत्री युद्ध को रोकने और इजरायल के युद्ध हथकंड़ों की निंदा करने का बार-बार आह्वान कर रहे हैं। मिस्र के राजनयिक सामेह शौकरी ने कहा, ‘‘हम गाजा में फिलस्तीनियों की ‘सामूहिक सजा’ को आत्म-रक्षा के अधिकार के रूप में माने जाने वाले औचित्य को स्वीकार नहीं कर सकते। यह बिल्कुल भी वैध आत्मरक्षा नहीं हो सकती।’’ ब्लिंकन अमेरिका के इस रुख पर अड़े रहे कि संघर्ष विराम से इजरायल के सात अक्टूबर को हमास के अचानक किए हमले के बाद अपने नागरिकों की रक्षा करने के अधिकार और दायित्व को नुकसान पहुंचेगा।

अमेरिका ने संघर्ष विराम से हमास के फिर से खड़े होने की आशंका जताई

ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन प्रशासन की इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करने की प्रतिबद्धता अटूट है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि संघर्ष विराम से हमास फिर से खड़ा होगा और जो उसने किया उसे दोहराने में समर्थ हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका गाजा निवासियों तक सहायता पहुंचाने के लिए इजराइल के अभियान में ‘‘मानवीय अल्प विराम’’ का समर्थन करता है। उनकी इस अपील को एक दिन पहले नेतन्याहू ने ठुकरा दिया था। अरब अधिकारियों ने यह भी कहा कि ब्लिंकन के मुख्य एजेंडे में से एक गाजा के युद्ध के बाद के भविष्य पर चर्चा करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि हत्याओं को रोकने और मानवीय सहायता बहाल करना तत्काल कदम हैं जिन्हें सबसे पहले उठाए जाने की जरूरत है।

हमास ने ब्लिंकन के बयान पर कही ये बात

बेरूत से हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ओसामा हमदान ने पत्रकारों को बताया कि ब्लिकंन को ‘‘आक्रामकता रोकनी चाहिए और ऐसे विचार नहीं रखने चाहिए जिन्हें लागू नहीं किया जा सकता।’’ हमदान ने कहा कि गाजा का भविष्य फिलस्तीनी तय करेंगे और अरब के विदेश मंत्रियों को अमेरिकी राजनयिक को बताना चाहिए कि ‘‘वह ऐसा अरब गठबंधन नहीं बना सकते जो फिलस्तीनी लोगों के खिलाफ हो।’’ ब्लिंकन ने जॉर्डन में सबसे पहले लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती से मुलाकात की। आतंकवादी समूह हिजबुल्ला लेबनान में ही स्थित है।
 
अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि ब्लिंकन ने ‘‘लेबनान को युद्ध में घसीटे जाने से रोकने में’’ मिकाती के नेतृत्व के लिए उनका आभार व्यक्त किया। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने कतर के विदेश मंत्री से मुलाकात की। कतर हमास के साथ सबसे प्रभावशाली वार्ताकार के रूप में उभरा है। ब्लिकंन ने फलस्तीनी शरणार्थियों की मदद कर रहे संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रमुख फिलिप लजारनी से भी वार्ता की। ​ (एपी) 

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