इजरायल-हमास संघर्ष ने तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ा दिया है। इस जंग में अब अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका भी कूद गया है। अमेरिका के युद्धक विमानों ने सीरिया में ईरानी युद्ध भंडारण केंद्र पर बड़ा हवाई हमला किया है। इसमें 9 लोगों की मौत हो गई है। अमेरिका के इस हमले से दुनिया भर में खलबली मच गई है। बता दें कि अमेरिका ईरान और उसके प्रतिनिधियों को इज़राइल-हमास की लड़ाई को क्षेत्रीय युद्ध में बदलने से रोकने का प्रयास कर रहा है, लेकिन प्रतिक्रिया में बार-बार होने वाले हमलों से वाशिंगटन और तेहरान के बीच संघर्ष का खतरा बढ़ गया है।
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिकी कर्मियों के खिलाफ हमलों के जवाब में अमेरिकी युद्धक विमानों ने बुधवार को पूर्वी सीरिया में ईरान से जुड़े हथियार भंडारण सुविधा पर हमला किया। लगभग दो सप्ताह में यह दूसरी बार है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने सीरिया में किसी स्थान को निशाना बनाया है। अमेरिका के अनुसार यह युद्ध भंडारण सुविधा केंद्र ईरान से जुड़ा हुआ है। अमेरिका का आरोप है कि यह केंद्र ऐसे समूहों का समर्थन करता है, जिन्हें वाशिंगटन मध्य पूर्व में अपनी सेनाओं पर हमलों में बढ़ोत्तरी के लिए दोषी मानता है।
अमेरिका ने कहा-आत्मरक्षा में किया गया हमला
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि सीरिया में ईरान के युद्ध भंडारण केंद्र पर यह हमला आत्मरक्षा में किया गया है। अमेरिका सेना ने पूर्वी सीरिया में जिस केंद्र को निशाना बनाया है, वह ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे संबद्ध समूहों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। ऑस्टिन ने एक बयान में कहा कि हमले में दो अमेरिकी एफ-15 युद्धक विमानों का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा कि "यह सटीक आत्मरक्षा हमला आईआरजीसी-कुद्स फोर्स के सहयोगियों द्वारा इराक और सीरिया में अमेरिकी कर्मियों के खिलाफ हमलों की एक श्रृंखला का जवाब है।सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स वॉर मॉनिटर ने कहा कि बुधवार के हमले में सीरिया में ईरान समर्थित समूहों से जुड़े नौ लोग मारे गए।
अक्टूबर में भी अमेरिका ने ऐसे दो केंद्रों पर किया था हमला
इससे पहले अमेरिकी सेना ने 26 अक्टूबर को सीरिया में दो ऐसे ही हथियार भंडारण सुविधा केंद्रों पर भी हमला किया था, जिनके बारे में आरोप था कि उनका इस्तेमाल भी आईआरजीसी और संबद्ध समूहों द्वारा किया जाता था। हालांकि उन हमलों में कोई हताहत नहीं हुआ था। वाशिंगटन ने कहा कि पहले के दो हमले अमेरिकी कर्मियों पर हुए हमलों के जवाब में थे, जिन्हें 17 अक्टूबर के बाद से रॉकेट और ड्रोन से 40 से अधिक बार निशाना बनाया गया है। हालिया हमला भी उसी का जवाब है।
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