विदेश में लगातार हो रही भारतीय छात्रों की मौत ने अभिभावकों को चिंतित कर दिया है। बड़ा सपना लेकर विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों की मौत से अब मां-बाप का दिल जवाब देने लगा है। आखिर कुछ तो वजह होगी, जो विदेश में लगातार भारतीय छात्र मारे जा रहे हैं या तो अज्ञात कारणों से उनकी मौत हो रही है। भारत सरकार ने वर्ष 2018 से विभिन्न कारणों से अब तक हुई छात्रों की मौतों का ब्यौरा दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि गत 5 वर्षों में 403 भारतीय छात्रों की विदेश में विभिन्न वजहों से मौत हो गई है।
एस जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारतीय छात्रों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित विभिन्न कारणों से 2018 के बाद से विदेशों में भारतीय छात्रों की मौत की कुल 403 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसमें 91 मामलों के साथ कनाडा शीर्ष पर है। इसके बाद ब्रिटेन में 48 मामले हैं। जयशंकर विदेश में भारतीय छात्रों की सुरक्षा पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, "विदेश में भारतीय मिशन/पोस्ट भारतीय छात्रों के सामने आने वाले किसी भी मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर प्रतिक्रिया देते हैं।
भारतीय छात्रों की मौत मामले में ये देश हैं टॉप पर
जयशंकर ने बताया कि 2018 के बाद से विदेश में भारतीय छात्रों की मौत का देश-वार विवरण के आंकड़ों से पता चलता है कि कनाडा में 91 मामलों के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद ब्रिटेन में 48, रूस में 40, अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की मौत हुई। आंकड़ों के मुताबिक, साइप्रस में 14, फिलीपींस और इटली में 10-10 और कतर, चीन और किर्गिस्तान में नौ-नौ भारतीय छात्रों की मौत हुई। सभी देशों में मौतों के अलग-अलग कारण रहे।
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