केपटाउन: दक्षिण अफ्रीका में वैज्ञानिकों को यह जानकर हैरानी हुई कि देश के शुष्क क्षेत्र में मौजूद दीमक के टीले 30,000 से अधिक वर्ष पुराने हैं। इसका मतलब यह है कि यह दीमक के अब तक के ज्ञात सबसे पुराने सक्रिय टीले हैं। स्टेलेनबॉश विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि रेडियोकार्बन डेटिंग में नामाक्वालैंड में बफेल्स नदी के पास के कुछ टीले 34,000 वर्ष पुराने होने का अनुमान लगाया गया था।
'पता नहीं था इतने पुराने हैं'
विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग में वरिष्ठ व्याख्याता मिशेल फ्रांसिस ने कहा, ‘‘हम जानते थे कि यह पुराने हैं लेकिन यह पता नहीं था कि इतने पुराने हैं।’’ उनका शोधपत्र मई में प्रकाशित हुआ था। फ्रांसिस ने कहा कि ये टीले तब भी मौजूद थे जब नुकीले दांतों वाली बिल्लियां और वूली मैमथ पृथ्वी के अन्य हिस्सों में घूमते थे और यूरोप और एशिया का बड़ा हिस्सा बर्फ से ढका हुआ था।
ब्राजील में पाए गए थे टीले
फ्रांसिस ने कहा कि हजारों वर्ष पुराने कुछ जीवाश्म दीमकों के टीले खोजे गए हैं। इस अध्ययन से पहले सबसे पुराने बसे हुए टीले ब्राजील में पाए गए थे और लगभग 4,000 वर्ष पुराने हैं। वो अंतरिक्ष से दिखाई देते हैं। फ्रांसिस ने दीमक टीलों का जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने और संभवत: कृषि पद्धतियों में सुधार लाने पर असर को देखते हुए उन पर और अध्ययन करने का आह्वान किया है।
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दीमक की कई प्रजातियां होती हैं। दीमक जमीन के बाहर, लकड़ियों और भूमि के अंदर रहते हैं। दीमक मिट्टी और लार से पतली, गोलाई में कम और लंबी सुंरगों का निर्माण करते हैं। दीमक जमीन के नीचे ऐसी ही सुरंगों का जाल फैला देते हैं। ये सुरंगें दीमकों को उनके घोंसलों और भोजन स्रोतों के बीच सुरक्षित रूप से जाने में मदद करती हैं। ऐसा करने के बाद दीमक जमीन के ऊपर टीले जैसी संरचनाओं को बनाते हैं, जिन्हें ‘दीमक के टीले’ कहा जाता है। यह टीले काफी बड़े और बेहद पुराने हो सकते हैं। (एपी)
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