26 अक्तूबर 2010 को इराक़ी न्यायाधिकरण ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई जिसे लेकर देश विदेश में बहुत हंगामा हुआ और कई यूरोपीय देशों सहित अनेक संगठनों ने इसकी निंदा की। ख़बर तो ये भी थी कि अज़ीज़ 25 अन्य क़ैदियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। उनका कहना था कि उन्हें उनके परिजनों से नहीं मिलने दिया जा रहा है।
17 नवंबर 2010 को ख़बर आई कि इराक़ी राष्ट्रपति जलाल तालाबानी ने उनकी फ़ांसी के आदेश पर दस्तख़त करने से मना कर दिया और फ़ांसी की सज़ा को अनिश्चतकालीन क़ैद में तब्दील कर दिया।
क्या बुश का अंदाज़ा सही था कि अज़ीज़ को सद्दाम का ठिकाना मालूम है? देखें अगला पेज।
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