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कौन थे तारिक़ अज़ीज़, क्यूं थे सद्दाम हुसैन की आवाज़'

नयी दिल्ली: इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के बेहद क़रीबी माने जाने वाले पूर्व विदेश मंत्री तारिक़ अज़ीज़ का शुक्रवार को बग़दाद के एक सैनिक अस्पताल में निधन हो गया। सद्दाम के मंत्रिमंडल के

तारिक़ अज़ीज़: सद्दाम...- India TV Hindi तारिक़ अज़ीज़: सद्दाम का केमिकल वैपन !

नयी दिल्ली: इराक़ के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के बेहद क़रीबी माने जाने वाले पूर्व विदेश मंत्री तारिक़ अज़ीज़ का शुक्रवार को बग़दाद के एक सैनिक अस्पताल में निधन हो गया। सद्दाम के मंत्रिमंडल के वे एकमात्र ग़ैर-मुस्लिम सदस्य थे। अज़ीज़ ईसाई थे जिनका पेदाइशी नाम मिखाईल यौहाना था।

दरअसल सद्दाम सुरक्षा कारणों से इराक़ से बाहर कम ही जाया करते थे और उच्च स्तरीय शिखर वार्ता में ये अज़ीज़ ही थे जो उनकी आवाज़ हुआ करते थे। सद्दाम उन पर सबसे ज़्यादा भरोसा करते थे, शायद अपने बेटों से भी ज़्यादा। अज़ीज़ महज़ एक मंत्री ही नहीं बल्कि सद्दाम के क़रीबी सलाहकार भी थे जिनकी सलाह काफ़ी मायने रखती थी।  

अज़ीज़ 1983 से 1991 तक विदेश मंत्री रहे और 1979 से 2003 तक उप प्रधानमंत्री रहे।

अज़ीज़ और सद्दाम का नाता 50 के दशक से जुड़ा जब दोनों उस समय की प्रतिबंधित अरब सोशलिस्ट बाथ पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। ये भी एक अजीब बात है कि ईसाई होते हुए भी अज़ीज़ इस पार्टी से जुड़े।

अज़ीज़ का एक बयान काफी चर्चित हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि अमरीका इराक़ में "सत्ता बदलाव" नहीं बल्कि "क्षैत्र बदलाव" चाहता है।

1968 में बाथ पार्टी के सत्ता में आने के बाद इराक़ी राजनीति में अज़ीज़ का क़द तेज़ी से बढ़ने लगा। सद्दाम का भरोसा जीतने के बाद वह लगातार ताक़वर होते गए। सद्दाम ने उन्हें कई महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारियां भी दी।

1979 में उप प्रधानमंत्री बनने के बाद अज़ीज़ बतौर एक राजनयिक विश्व में इराक़ की नुमाइंदगी करने लगे। 1980 में उन पर इस्लामिक दावा पार्टी के लोगों ने एक जानलेवा हमला भी किया जिसमें काफी लोग मारे गए थे।

अज़ीज़ ने कुवैत पर हमले को कैसे जायज़ ठहराया, देखें अगला पेज

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