ईरान परमाणु समझौता क्या है'
वाशिंगटन: अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व की छह शक्तियों (पी5प्लस1 समूह) ने ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर तेहरान के साथ समझौते की रूपरेखा पर सहमति की घोषणा की है। स्विट्जरलैंड के लुसाने में दोनों
वाशिंगटन: अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व की छह शक्तियों (पी5प्लस1 समूह) ने ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर तेहरान के साथ समझौते की रूपरेखा पर सहमति की घोषणा की है। स्विट्जरलैंड के लुसाने में दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के कारण 31 मार्च की समय सीमा से पहले वार्ताकारों ने वार्ता को दो बार विस्तार दिया।
पी5प्लस1 समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन तथा जर्मनी हैं।
अमेरिकी अधिकारियों द्वारा समाचार चैनल सीएनएन को समझौते का प्रारूप बताया गया। इस प्रारूप के सात मुख्य बिंदु निम्न हैं :
1. अपकेंद्रण यंत्र (सेंट्रिफ्यूज) : समझौते के तहत, ईरान को कुल लगभग 19 हजार अपकेंद्रण यंत्र को घटाकर 6.104 करना होगा, जिनमें से 5,060 को अगले 10 वर्षो के दौरान यूरेनियम संवर्धन की मंजूरी होगी।
2. यूरेनियम संवर्धन : ईरान के अपकेंद्रण यंत्र केवल 3.67 फीसदी यूरेनियम का संवर्धन करेंगे, जो असैन्य कार्यो यानी बिजली की जरूरतों के लिए पर्याप्त है, लेकिन इतने से परमाणु बम नहीं बनाया जा सकता।
3. ब्रेकआउट टाइम : समझौते के तहत ब्रेकआउट टाइम लगभग एक साल होगा। एक साल का ब्रेकआउट कम से कम 10 सालों के लिए होगा।
4. फॉरडो फैसिलिटी : समझौते के मुताबिक, ईरान के फॉरडो परमाणु रिएक्टर को 15 साल तक यूरेनियम संवर्धन की इजाजत नहीं होगी। संयंत्र में वह विखंडनीय सामग्री नहीं रखेगा, लेकिन वह वहां 1 हजार अपकेंद्रण यंत्र रख सकता है।
5. अनुसंधान व विकास : समझौते के मुताबिक, ईरान यूरेनियम संवर्धन पर शोध व विकास कार्य को जारी रख सकता है।
6. निरीक्षण : ईरान के परमाणु संयंत्रों का निरीक्षण संयुक्त राष्ट्र की निगरानी संस्था अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) करेगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि ईरान सैन्य आवश्यकता के लिए इसका प्रयोग नहीं कर रहा।
7. पाबंदी हटाना : आईएईए के सुझाव पर अमेरिका तथा यूरोपीय संघ ईरान की अर्थव्यवस्था पर परमाणु से संबंधित पाबंदियां हटाएगा।