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जनजातियों में कितनी खतरनाक होती हैं पौरुष साबित करने की प्रथाएं!

नई दिल्ली: आज हर क्षेत्र में महिलाओं को खुद को साबित करना होता है चाहे वह काम में हो या परिवार में। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां पर पुरूषों को खुद

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नई दिल्ली: आज हर क्षेत्र में महिलाओं को खुद को साबित करना होता है चाहे वह काम में हो या परिवार में। लेकिन दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं जहां पर पुरूषों को खुद को साबित करना होता है नाघोल एक ऐसी जनजाति है जहां पर लोगों को अपना पौरुष साबित करना होता है। इसे साबित करने के लिए उन्हें कुछ परिक्षाओं से होकर गुजरना होता है। यहां पर पुरूषों को मर्दांगी साबित करने के लिए 90 फीट ऊंचे लकड़ी के टावर से सिर के बल छलांग लगानी होती है। उनके पैर में सिर्फ एक बेल बंधी होती है जिसके सहारे वे लटकते हैं। अगर नीचे गिरने के बाद लड़का जिंदा रह जाता है तो उसे मर्द माना जाता है। इस खेल को लैंड डाइविंग कहते हैं।

1. पापुआ न्यू गिनी में रहने वाली मातौसा जनजाति का मानना है कि कोई व्यक्ति तब तक मर्द नहीं बन सकता जब तक उसकी सारी अशुद्धियां नहीं निकल जाती। इसके लिए उनके गले में दो लकड़ी के डंडे डाले जाते हैं ताकि वे उल्टी करे। इसके बाद बांसुरी को उनकी नाक में डाली जाती है और जीभ पर तब तक वार किया जाता है जब तक खून न निकल आए। खून निकलने पर उनकी मर्द होने की पुष्टि होती है।

2. ब्राजील के सातेरे- मावे जनजाति में लड़कों को बुलेट चींटी से भरे दस्ताने पहनाए जाते हैं बुलेट चींटी का डंक दुनिया के सभी कीड़ों के डंक से ज्यादा खतरनाक होता है। इसका दर्द 24 घंटों तक रहता है। जो लड़का इसे झेल जाता है, वो ही मर्द कहलाता है।

3. इथोपिया की हमर जनजाति में लड़कों को शादी पहले एक प्रथा पूरी करनी होती है। इसमें लड़के की करीबी महिलाओं को दूसरे मर्द पीटते हैं और वे मंत्र जाप करती रहती हैं। महिलाओं को लगी चोटें इस बात का सबूत होती हैं कि वे मर्दो के प्रति समर्पित हैं। इसके बाद 10-30 नपुंसक बैलों को लाइन से खड़ा किया जाता है और लड़के को नंगा हो कर उन बैलों की पीठ पर चार बार दौड़ना होता है। ऐसा कर लेने से वो 'माजा' कहलाता है।

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