संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दक्षिणी सूडान में नफरत फैलाने वाली भाषा और जातीय उन्माद फैलाने वाले भाषणों के बढ़ने के बाद बड़े पैमाने पर अत्याचार के खतरे को लेकर आगाह किया है। सुरक्षा परिषद की ओर से कल जारी एक रपट में बान ने कहा कि दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक बल के पास इतनी संख्या और क्षमता नहीं है कि वे बड़े पैमाने पर होने वाले अत्याचारों को रोक सकें।
रिपोर्ट में कहा गया, पिछले कुछ सप्ताह के दौरान नफरत फैलाने वाले और जातीय प्रोत्साहन वाले भाषणों में तेजी आई है, जिसके कारण दक्षिणी सूडान में बड़े पैमाने पर अत्याचार किये जाने का खतरा है। इसमें कहा गया है, हालांकि राजनीतिक स्तर पर सभी आवश्यक उपायों के साथ नगारिकों की रक्षा करने का कार्य सौंपा जाएगा और हर प्रयास किये जाएंगे। लेकिन स्पष्ट रूप से यह समझना जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों के अभियान की पहुंच सीमित है और उनके पास इस बड़े पैमाने पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए लोगों और क्षमता की कमी है।
रिपोर्ट में बान ने सुरक्षा परिषद द्वारा देश में हथियारों के प्रतिबंधित की अपील दुहराई। सुरक्षा परिषद ने कहा है कि देश में हथियारों की बाढ़ आयी हुयी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शांति सैनिकों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी है, जिसके कारण अभियान बुरी तरह प्रभावित हुआ है और दुनिया में युवाओं के एक बड़े देश में मानवीयता में कमी है। उल्लेखनीय है कि 2011 में सूडान से अलग होने के बाद दक्षिणी सूडान में जातीय हिंसा बढ़ी है।
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