संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने बुद्धपूर्णिमा के दिन पर अपने संदेश में कहा है कि समाजों को बांटने पर केंद्रित नफरत संबंधी बयानों और हिंसक संघर्षों के वर्तमान दौर में करूणा एवं अहिंसा की बौद्ध शिक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बड़ी चुनौतियों से निबटने में मदद कर सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षा उनके जीवन में विवेक का बहुत बड़ा स्रोत रही है और उसे अपने परिवार के माध्यम से सीखने का उनका सौभाग्य रहा है, क्योंकि उनकी मां एक समर्पित बौद्ध धर्मावलंबी हैं।
बौद्धदर्शन के उपदेशों से एकता और अहिंसा को मिलता है बल
बान ने कहा, समाज को बांटने पर केंद्रित व्यापक जनांदोलनों, हिंसक संघर्ष, उत्पीड़नकारी मानवाधिकार उल्लंघन और नफरत संबंधी बयानों के इस दौर में बुद्ध पूर्णिमा इस पर गौर करने का एक अमूल्य मौका प्रदान करती है कि कैसे बौद्धदर्शन के उपदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बड़ी चुनौतियों से निबटने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध दर्शन विश्व को सभी जीवों के प्रति प्यार और करूणा का पाठ पढ़ाता है और चुनौती आज की दुनिया की असल समस्याओं के प्रति बौद्ध विवेक का इस्तेमाल करना है।
भारत, 13 अन्य देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासाभा में मनाई बुद्धपूर्णिमा
बान ने कहा कि अंतरराष्ट्र बौद्ध दिवस सभी लोगों के प्रति करूणा अपनाने की याद दिलाता है, जिसमें विभिन्न धर्मों तक पहुंचना, धर्मांधता को अस्वीकार करना और सभी लोगों को समान रूप से गले लगाना शामिल है। भारत ने अन्य 13 देशों के साथ मिलकर कल संयुक्त राष्ट्र महासभा में विशेष तौर पर बुद्धपूर्णिमा मनाई जिसमें बौद्धभिक्षु और राजनयिक शामिल हुए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि बुद्ध के सत्य, अहिंसा और शांति के मूल संदेश आज भी सर्वत्र प्रासंगिक बने हुए हैं।
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