A
Hindi News विदेश अन्य देश बेहद खास है दक्षिण अफ्रीका में सुषमा स्वराज की यह ट्रेन यात्रा, जानें क्यों

बेहद खास है दक्षिण अफ्रीका में सुषमा स्वराज की यह ट्रेन यात्रा, जानें क्यों

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पेंट्रिच से पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन तक गुरुवार को ट्रेन से सफर किया...

Sushma travels from Pentrich to Pietermaritzburg to mark Gandhi's eviction from compartment | PTI- India TV Hindi Sushma travels from Pentrich to Pietermaritzburg to mark Gandhi's eviction from compartment | PTI

पीटरमैरिट्जबर्ग: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पेंट्रिच से पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन तक गुरुवार को ट्रेन से सफर किया। यह वही रेलवे स्टेशन है जहां महात्मा गांधी को 125 वर्ष पहले अश्वेत होने की वजह से ट्रेन के डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया था और इसी घटना ने उन्हें सत्याग्रह करने के लिए प्रेरित किया था। दक्षिण अफ्रीका की 5 दिन की यात्रा पर गई सुषमा ने बुधवार को फीनिक्स बस्ती में एक पौधा लगाया था जहां महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रहने के दौरान अहिंसा के दर्शन को विकसित किया था। उन्होंने गांधी की आवक्ष मूर्ति का भी अनावरण किया जिसे ‘बर्थ ऑफ सत्याग्रह (सत्याग्रह का जन्म)’ भी कहा जाता है।

सुषमा ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा,‘वसुधैव कुटुम्बकम्-(दुनिया एक परिवार है) की धारणा को अपनाने के लिए हमें याद रखना होगा कि सत्य और अहिंसा ही मार्ग है।’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘इस यात्रा ने महात्मा गांधी को सत्याग्रह करने के लिए प्रेरित किया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पेंट्रिच स्टेशन से पीटरमैरिट्जबर्ग तक ट्रेन से यात्रा की। पीटरमैरिट्जबर्ग घटना के 125 वर्ष पूरे होने, नेल्सन मंडेला की 100 वीं जयंती और राजनयिक संबंधों के 25 वर्ष पूरे हो रहे है। इससे बड़ा कुछ और नहीं हो सकता।’ 7 जून, 1893 की रात को युवा वकील मोहनदास करमचंद गांधी को पीटरमैरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के प्रथम श्रेणी डिब्बे से इसलिए बाहर फेंक दिया गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी सीट छोड़ने से इनकार कर दिया था।


इस घटना ने उन्हें शांतिपूर्ण प्रतिरोध के अपने सत्याग्रह सिद्धांतों को विकसित करने और अंग्रेजों के भेदभावपूर्ण नियमों के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका और भारत में लोगों को संगठित करने के लिए प्रेरित किया था। सुषमा ने महात्मा गांधी डिजिटल संग्रहालय का भी उद्घाटन किया जिसमें इस अप्रिय घटना के बारे में स्क्रीन, वीडियो, ऑडियो व्याख्याएं शामिल हैं। इस घटना की 125 वीं वर्षगांठ के मद्देनजर, उन्होंने ' द बर्थ ऑफ सत्याग्रह' नामक एक कॉफी टेबल पुस्तक जारी की। दक्षिण अफ्रीका के उप विदेश मंत्री लुवेलीन लैंडर्स के साथ सुषमा ने संयुक्त रूप से राजनयिक संबंधों के 25 वर्ष पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय और ओलिवर टैम्बो पर डाक टिकटों को भी जारी किया। महात्मा गांधी ने 1915 में भारत लौटने से पहले 21 वर्ष दक्षिण अफ्रीका में बिताए थे।

Latest World News