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अफ्रीका के इस देश में खत्म हुआ 30 साल का इस्लामी शासन, अब बनेगा लोकतांत्रिक देश

सूडान की सरकार ने उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र में 30 साल के इस्लामी शासन को खत्म करते हुए धर्म को अलग करने की बात पर सहमति व्यक्त की है।

Abdalla Hamdok, Prime minister of Sudan- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@SUDANPMHAMDOK Abdalla Hamdok, Prime minister of Sudan

अफ्रीका के सबसे हिंसाग्रस्त देशों में शुमार सूडान ने आखिरकार साल भर चले आंदोलन के बाद 30 साल पुराने इस्लामी शासन को खत्म कर दिया गया है। साथ ही सूडान की सरकार ने धर्म को अलग करने की बात पर सहमति व्यक्त की है। सूडान की सरकार ने उत्तरी अफ्रीकी राष्ट्र में 30 साल के इस्लामी शासन को खत्म करते हुए धर्म को अलग करने की बात पर सहमति व्यक्त की है। सूडान के प्रधानमंत्री अबदुल्ला हमदोक और सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ विद्रोही समूह के नेता अब्दुल-अजीज अल हिलु के बीच बीते गुरुवार को इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं।

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संविधान को धर्म से अलग रखने पर सहमति

इस समझौता पत्र में लिखा है कि सूडान एक लोकतांत्रिक देश बनने के लिए, जहां सभी नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाता है। यहां संविधान को धर्म और राज्य के अलगाव के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए, इसके अभाव में आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। सरकार की ओर से विद्रोही ताकतों के साथ शांति समझौते को शुरू करने के बाद एक हफ्ते से भी कम समय में यह समझौता खत्म हो गया है, इसमें दार्फुर और सूडान के दूसरे हिस्सों से बेदखल किए गए तानाशाह उमर-अल बशीर से और लड़ने की उम्मीद खत्म हो गई है।

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ऐसे इस्लामी शासन में फंसा सूडान

सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ के दो गुटों में से एक किसी भी ऐसे समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है जो धर्मनिरपेक्ष प्रणाली को सुनिश्चित नहीं करता है। 1989 में बशीर की ओर से सत्ता पर कब्जा करने के बाद सूडान को अंतरराष्ट्रीय अलगाव से जूझना पड़ रहा था, जिससे अब वो उभर रहा है। बता दें कि, 1989 में उमर अल बशीर ने सूडान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। उसने देश की शासन में इस्लामी कानून को शामिल कर लिया। इसके जरिए देश के कई हिस्सों में कठोर शरिया कानून लागू कर दिया गया। जिसके बाद सूडान के कई कबीले सरकार के खिलाफ हो गए थे। बशीर के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से सूडान को अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना करना पड़ रहा था। बशीद के समय में अलकायदा और कार्लोस सूडान में बस गए थे, अमेरिका ने 1993 में सूडान को आतंकवादी प्रायोजक घोषित कर दिया था और बाद में साल 2017 तक प्रतिबंध लगाए। 

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महिलाओं के खतने पर कानून

पिछले साल तख्तापलट के बाद देश में बनी अंतरिम सरकार ने खतना को अपराध करार देने वाला कानून तैयार कर लिया है। किसी भी मेडिकल संस्थान या घरों में भी खतना किए जाने पर तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। इसे करने वाले डॉक्टर-नर्स को भी ऐक्शन का सामना करना पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक सूडान में 10 में से 9 महिलाओं का खतना किया जाता था। खतना एक ऐसी परंपरा होती है जिसमें महिलाओं के प्राइवेट पार्ट या उसके एक हिस्से को काट दिया जाता है। न सिर्फ यह प्रक्रिया दर्दनाक होती है बल्कि बेहद खतरनाक भी। कई मामलों में बच्चियों की जान तक चली जाती है।

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