जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के एक श्वेत व्यक्ति को हिंदुओं के खिलाफ फेसबुक पर नस्लवादी टिप्पणी करना उस समय महंगा पड़ गया जब उसकी इस हरकत के लिए उस पर जुर्माना लगाया गया और 50 घंटे की सामुदायिक सेवा करने को कहा गया। दक्षिण अफ्रीका की हिंदू धर्म सभा ने व्यक्ति को मिली सजा को ‘सोशल मीडिया पर हिंदुओं के खिलाफ हमले करनेवालों पर बड़ी जीत’ बताया है। दोषी एलेक्जेंडर मैकगिबन की टिप्पणी को लेकर सभा ने इक्विलिटी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मैकगिबन ने 2016 में दिवाली उत्सव के दौरान फेसबुक पर नस्लवादी टिप्पणी की थी। अपने पोस्ट में उसने कहा था कि सबसे पहले भारतीय लोग दक्षिण अफ्रीका के गन्ने के खेतों में काम करने के लिए बंधुआ मजदूर के रूप में लाए गए थे। अपनी इस टिप्पणी पर बवाल मचने के बाद मैकगिबन ने अपने फेसबुक अकाउंट को डिऐक्टिवेट कर दिया था, लेकिन तब तक उसकी यह पोस्ट वायरल हो चुकी थी। इसके बाद उसे एक स्थानीय कंपनी के चेयरमैन पद से भी निलंबित कर दिया गया था।
मैकगिबन को इक्वेलिटी कोर्ट में चीफ मैजिस्ट्रेट साकीसिन जिमेले की कोर्ट में सभा के साथ समझौता करना पड़ा। समझौते की शर्तों के मुताबिक, मैकगिबन को 10 दिन के अंदर हिंदू समुदाय से माफी मांगने और 20,000 रैंड (लगभग 1.08 लाख रुपये) जुर्माना देने के लिए कहा गया। जुर्माने की रकम भारतीय संस्था द्वारा संचालित आर्यन बेनेवोलेंट होम को देने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा मैकगिबन को रामकृष्ण सेंटर में 50 घंटे की कम्युनिटी सर्विस करने का भी आदेश दिया गया।
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