संयुक्त राष्ट्र: भारत ने आतंकवाद के फैलते जाल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारत के स्थाई प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने कहा, "हम सुरक्षा परिषद से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए उत्पन्न इस खतरे के खिलाफ एक निर्धारित समय सीमा में तेजी से कार्रवाई करने का आग्रह कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "पहले कदम के रूप में सुरक्षा परिषद को सूचीबद्ध आतंकवादी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंधों पर अमल के ढांचे को और मजबूत बनाना चाहिए ताकि इन्हें कहीं सुरक्षित ठिकाना न मिल सके।" भारत के लिए यह मुद्दा रहा है कि सुरक्षा परिषद ने मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता जकी उर रहमान लखवी को जमानत देने और भारत विरोधी आतंकवादियों को पनाह देने के मामले में पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं की है।
मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून की रपट के हवाले से कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान और इस्लामिक स्टेट (आईएस) एवं इसके सहयोगियों के बीच का संघर्ष एक चिंताजनक स्थिति है। उन्होंने खास कर बान की रपट के उस हिस्से का जिक्र किया जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में आईएस लड़ाकों में अधिकांश अफगान तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और पूर्व में अलकायदा से जुड़े समूहों से निकल कर आए हैं।
मुखर्जी ने कहा कि इन सब बातों के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान से सेना हटाने के मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के अच्छे रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा कि अफगानिस्तान अपनी आर्थिक क्षमता का फायदा तभी उठा सकता है, जब उसे दक्षिण एशिया में व्यापार के लिए आवागमन की आजादी मिले। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि अफगानिस्तान को यह आजादी नहीं दी जा रही है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के वाहनों को सीधे भारत जाने देने की इजाजत नहीं दी हुई है।
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