मास्को: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को मॉस्को में शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) बैठक में आतंकवाद, चीन, पाकिस्तान के साथ-साथ फारस की खाड़ी में बनी स्थिति पर चिंता व्यक्त की। फारस की खाड़ी में बनी स्थिति पर उन्होंने क्षेत्र के देशों से आपसी सम्मान पर आधारित वार्ता के जरिए अपने मतभेद सुलझाने का आह्वान किया। फारस की खाड़ी में ईरान, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से जुड़ी कई घटनाओं के कारण क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है । शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘फारस की खाड़ी की स्थिति पर हम काफी चिंतित है।’’
खाड़ी के सभी देशों के साथ भारत के सभ्यतागत और सांस्कृतिक जुड़ाव तथा व्यापक हित होने का उल्लेख करते हुए सिंह ने क्षेत्र के देशों को आपसी सम्मान पर आधारित वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम क्षेत्र के देशों से आपसी सम्मान, संप्रभुता और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की नीति पर आधारित वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने का आह्वान करते हैं। क्षेत्र के सभी देशों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।’’
पिछले महीने ईरान की नौसेना ने होरमुज जलसंधि के पास एक तेल टैंकर को जब्त कर लिया था। इस पर लाइबेरिया का ध्वज लगा हुआ था। अमेरिका इसे अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र कहता है। ईरान ने इस क्षेत्र में तेल टैंकरों की आवाजाही रोकने की धमकी दी थी।
वहीं चीन को नसीहत देते हुए एससीओ की बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने के लिए शांति और विश्नवास का होना बेहद जरूरी है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय नियमों का सम्मान और मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान भी जरूरी है।
मालूम हो कि भारत और चीन दोनों ही एससीओ के सदस्य हैं, जो आठ देशों का रीजनल ग्रुप है और जो मुख्य रूप से सुरक्षा और रक्षा से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित है। राजनाथ यह बात बैठक में मौजूद चीन के रक्षा मंत्री के सामने कही।
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