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रूस ने अफगान वार्ता की मेजबानी की, कहा-तालिबान अफगानिस्‍तान को आतंकी पनाहगाह बनने पर लगाएं रोक

पूर्ववर्ती सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में 10 साल तक युद्ध लड़ा था, जिसका अंत 1989 में वहां से रूसी सैनिकों की वापसी के साथ हुआ। मॉस्को ने हाल के वर्षों में तालिबान के और अन्य पक्षों के साथ वार्ता की मेजबानी कर अफगानिस्तान के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता में एक सशक्त मध्यस्थ के रूप में वापसी की है।

Russia hosts Taliban, calls for inclusive Afghan government- India TV Hindi Image Source : AP रूस ने बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता की मेजबानी की।

मॉस्को: रूस ने बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता की मेजबानी की, जिसमें तालिबान और पड़ोसी देशों से वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में रूस ने तालिबान को कड़ी चेतावनी दी है। रूस ने कहा है कि तालिबान को अफगानिस्‍तान की धरती का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए पड़ोसियों के खिलाफ नहीं होने देना चाहिए। वार्ता की शुरुआत करते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए ऐसी वास्तविक समावेशी सरकार के गठन की आवश्यकता है, जिसमें देश के सभी जातीय समूहों और राजनीतिक दलों के हित की झलक दिखे। रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद वह इस समूह से संपर्क स्थापित करने के लिए वर्षों तक काम करता रहा। 

इस तरह के किसी भी समूह से संपर्क करना रूस के कानून के तहत दंडनीय है, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय ने मुद्दे पर विरोधाभास से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में मदद के लिए तालिबान से बात करना आवश्यक है। गत अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अन्य देशों से इतर रूस ने वहां काबुल स्थित अपने दूतावास को खाली नहीं किया और तभी से इसके राजदूत तालिबान के प्रतिनिधियों से लगातार मुलाकात करते रहे हैं। लावरोव ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में अफगानिस्तान में स्थिति को स्थिर बनाने और सरकारी संस्थानों का संचालन सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए तालिबान की सराहना की। 

उन्होंने साथ ही अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के सम्मान के महत्व पर भी जोर दिया। बुधवार की वार्ता में शामिल हुए तालिबान की अंतरिम सरकार के उपप्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने कहा, ‘‘पूरे देश की स्थिरता के लिए बैठक बहुत महत्वपूर्ण है।’’ लावरोव ने कहा कि रूस जल्द ही अफगानिस्तान के लिए मानवीय मदद की खेप भेजेगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह अफगानिस्तान में मानवीय संकट उत्पन्न होने से रोकने के लिए तुरंत अपने संसाधन लगाएं।

पूर्ववर्ती सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में 10 साल तक युद्ध लड़ा था, जिसका अंत 1989 में वहां से रूसी सैनिकों की वापसी के साथ हुआ। मॉस्को ने हाल के वर्षों में तालिबान के प्रतिनिधियों और अन्य पक्षों के साथ वार्ता की मेजबानी कर अफगानिस्तान के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता में एक सशक्त मध्यस्थ के रूप में वापसी की है। मॉस्को फॉर्मेट की बैठक में तालिबान और अफगानिस्तान के अन्य गुटों के प्रतिनिधियों के साथ ही चीन, भारत, पाकिस्तान, ईरान और पूर्ववर्ती सोवियत संघ राष्ट्रों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। 

बुधवार को हुई बैठक से पहले इस सप्ताह के शुरू में एक और बैठक हुई थी जिसमें रूस, चीन और पाकिस्तान के राजनयिक शामिल हुए थे। बैठक में अमेरिका शामिल नहीं हुआ। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान के नए शासक के रूप में तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने हालांकि संगठन के साथ वार्ता करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।

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