हरारे: रॉबर्ट मुगाबे के सत्ता से हटने में मध्यस्थता करने वाले पादरी फिडेलिस मुकोनोरी ने कहा कि ऐसा प्रतीत हुआ कि इस्तीफा देने के बाद 93 वर्षीय नेता ने काफी राहत महसूस की। मुगाबे ने जब उपराष्ट्रपति एमर्सन नागाग्वा को पद से हटाया था, उसके बाद सेना जिम्बाब्वे के प्रशासन पर अपनी पकड़ मजबूत करने लगी थी और लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया था, जिससे उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके इस्तीफे के साथ ही 37 वर्षों का उनका कार्यकाल समाप्त हो गया, जिसे आर्थिक बर्बादी के तौर पर याद किया जाता है। (उत्तर कोरिया ने फिर दागी बैलिस्टिक मिसाइल, अमेरिका समेत जापान ने की कड़ी आलोचना)
संसद में 21 नवम्बर को जो इस्तीफा पत्र पढ़ा गया, वह बढ़ते दबाव और समझौतों का नतीजा था। सेना के कई जनरल के साथ हुए समझौते की अध्यक्षता मुकोनोरी ने की थी। मुकोनोरी ने हरारे में एएफपी को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘जब पत्र पूरा हो गया तो उन्होंने इसे देखा, पूरे पत्र को पढ़ा और इत्मीनान से अपनी कलम उठाते हुए इस पर दस्तखत कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और जैसे ही उन्होंने इस्तीफे पर दस्तखत किया, उनके चेहरे पर चमक आ गई और उन्होंने कहा --‘अब हो गया, मुझे जो करना था वह मैंने कर दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हस्ताक्षर करने के बाद आप उस व्यक्ति का सौंदर्य देख सकते थे कि उन्होंने अपना काम पूरा कर दिया है।’’
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