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दुनिया का सबसे रेयर ब्लड ग्रुप, जो है सिर्फ 40 लोगों के पास

हम सभी के ब्लड ग्रुप में वैरिएशंस होती है, इस बात को सभी जानते हैं। A, B और o यह ब्लड के टाइप होते हैं। इसमें O नेगेटिव ब्लड ग्रुप को दुनिया में सबसे दुर्लभ श्रेणी में रखा जाता है।

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हम सभी के ब्लड ग्रुप में वैरिएशंस होती है, इस बात को सभी जानते हैं। A, B और o यह ब्लड के टाइप होते हैं। इसमें O नेगेटिव ब्लड ग्रुप को दुनिया में सबसे दुर्लभ श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इसके अलावा भी कई ब्लड ग्रुप होते हैं जिन्हें दुनिया में सबसे दुर्लभ श्रेणी  में रखा गया है। इनमें से एक है बॉम्बे ब्लड ग्रुप। भारत में प्रति 10 हजार लोगों में एक में और यूरोप में प्रति 10 लाख लोगों में एक में यह ब्लड ग्रुप पाया जाता है। इस ब्लड ग्रुप की खोज 56 साल पहले की गई थी। वहीं, एक और ब्लड ग्रुप है जो इससे भी रेयर है, उसे 'गोल्डन ब्लड ग्रुप' कहा जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरी दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के लगभग 40 लोग ही बाए गए हैं। (ट्रंप ने रूसी जांच की फिर आलोचना की, ट्वीट कर कहा- कुछ कीजिए)

बॉम्बे ब्लड ग्रुप की बात करें तो साल 1952 में तत्काली बंबई और अब मुंबई के एक डॉक्टर एमआर भेंडे ने इसका पता लगाया था। दूसरे ब्लड ग्रुप्स में ऐंटिजन-एच होते हैं, जबकि 'बॉम्बे' में ये ऐंटिजन नहीं पाए जाते। इसे एचएच ग्रुप भी कहा जाता है। बॉम्बे में इस ब्लड ग्रुप का पता लगने के कारण इस ब्लड ग्रुप को 'बॉम्बे ब्लड' नाम दिया गया है। वहीं यदि सबसे रेयर ब्लड टाइप की बात करें तो वह है Rh-null, जिसे 'गोल्डन ब्लड' भी कहा जाता है। इसका नाम Rh-null इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें Rh सिस्टम के 61 में से एक भी एंटिजेन मौजूद नहीं होता है। पिछले पांच दशक के इतिहास में अभी तक सिर्फ 40-43 लोगों में ही इस ब्लड टाइप के होने की बात कही गई है। यही नहीं, रिपोर्ट्स की मानें तो इस ब्लड ग्रुप के पूरी दुनिया में सिर्फ 9 ही डोनर्स हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, रेड ब्लड सेल में 342 एंटीजेंस होते हैं और ये एंटीजेंस मिलकर एंटीबॉडीज बनाने का काम करते हैं। किसी भी ब्लड ग्रुप का निर्धारण इन एंटीजेंस की संख्या पर डिपेंड करता है। सामान्य रूप से लोगों के ब्लड में 342 में से 160 एंटीजेंस होते हैं। अगर ब्लड में इसकी संख्या में 99% कमी देखने को मिलती है, तो उसे दुर्लभ श्रेणी में रखा जाता है। यही संख्या अगर 99.99% तक पहुंच जाती है, तो ये दुर्लभ से भी ज्यादा दुर्लभ हो जाता है।

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