मोदी-पुतिन की मुलाकात आज, 70 साल के रिश्तों का मनाएंगे जश्न
सोवियत संघ के समय से रूस के साथ रहे भारत के परंपरागत संबंध मॉस्को की चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी से जटिल हो गए हैं।
सेंट पीटर्सबर्ग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार यूरोपीय देशों की यात्रा के तहत रूस पहुंच गए हैं। 1 जून को रूस के राष्ट्रपति पुतिन से उनकी यहां मुलाकात होगी। रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद वह 2 जून को सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करेंगे। मोदी इसे रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। फोरम में भारत इस बार मेहमान देश है। इसे दोनों देशों के 70 साल पुराने रिश्तों के जश्न के तौर पर देखा जा रहा है।
वहीं सबकी निगाहें भारत के सबसे बड़े परमाणु उर्जा संयंत्र की अंतिम दो इकाइयों के लिए रूस की मदद से जुड़े करार पर हैं। सोवियत संघ के समय से रूस के साथ रहे भारत के परंपरागत संबंध मॉस्को की चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक साझेदारी से जटिल हो गए हैं। मोदी ने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, "ऐतिहासिक शहर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा। उपयोगी यात्रा की उम्मीद करता हूं जिसका उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को मजबूती प्रदान करना है।"
पीटर्सबर्ग यात्रा से पहले रूस के अखबार रोसिसकाया गजट में छपे एक लेख में मोदी ने लिखा है, हम अच्छे और बुरे हर वक्त में साथ रहे हैं। मोदी ने कहा, भारत-रूस के संबंध 1947 के बाद नाटकीय रूप से बदले विश्व में सबसे स्थायी रहे हैं। यह समय की कसौटी पर खरे उतरे मजबूती के साथ विकसित होते गए। हमारे संबंधों का लचीलापन इस तथ्य पर आधारित है कि यह समानता, विश्वास और परस्पर लाभ के सिद्धांतों पर आधारित है।
प्रधानमंत्री ने भारत में औद्योगिक ढांचे के विकास में पूर्ववर्ती सोवियत संघ के सहयोग की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, पिछले 70 वर्षों में भारत एक बड़े और विविध औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी आधार के रूप में विकसित हुआ है। हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।
रूस के बाद 2 जून को मोदी यात्रा के आखिरी पड़ाव के लिए फ्रांस रवाना होंगे। यहां पेरिस में फ्रांस के नए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से चर्चा करेंगे। इस दौरान दोनों देशों का स्ट्रैटजिक रिलेशन मजबूत होने की उम्मीद है। दोनों देश आतंकवाद से पीड़ित हैं।इसलिए बातचीत में यह अहम मुद्दा हो सकता है।