नई दिल्ली: ब्रिटेन में नए कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है जिसके बाद भारत सहित करीब एक दर्जन देशों ने उसके साथ हवाई सेवाएं स्थगित कर दी हैं। असल में म्यूटेशन की वजह से तैयार हुए नए कोरोना वायरस को अधिक संक्रामक बताया जा रहा है और ब्रिटेन में मामले बढ़ने के पीछे इसे ही जिम्मेदार समझा जा रहा है। बताया जा रहा है कि नया कोरोना वायरस 70 फीसदी तक अधिक संक्रामक है। ब्रिटेन में श्रेणी-4 के सख्त लॉकडाउन को लागू किया गया है और सभी अनावश्यक यात्राओं व कार्यक्रमों पर प्रतिबंध है।
कोरोना का यह नया स्ट्रेन न केवल ब्रिटेन बल्कि इटली, नीदरलैंड, डेनमार्क, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में भी फैल गया है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन से एक यात्री रोम पहुंचा था, जिसकी वजह से इटली में नया कोरोना वायरस पाया गया है। फ्रांस में भी नए वायरस को लेकर चेतावनी दी गई है।
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नवंबर महीने में ही डेनमार्क में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के 9 मामले मिले थे और एक मामला ऑस्ट्रेलिया में पाया गया था। नीदरलैंड ने कहा है कि इसी महीने उनके यहां कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिला है। वहीं लंदन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सबसे तेजी से फैल रहा है। लंदन और साउथ इस्ट ऑफ इंग्लैंड के 60 फीसदी मामले नए स्ट्रेन के ही बताए जा रहे हैं।
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वहीं भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर विवेक मूर्ति ने कहा है कि ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि कोरोना वायरस का ब्रिटेन में पाया गया नया और अधिक संक्रामक रूप ज्यादा घातक है। मूर्ति ने कहा कि यह मानने का कोई कारण उपलब्ध नहीं है कि विकसित किये जा चुके कोरोना वायरस के टीके वायरस के नए प्रकार पर प्रभावी नहीं होंगे।
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माना जा रहा है कि वायरस का यह प्रकार या तो ब्रिटेन में किसी मरीज में उत्पन्न हुआ होगा या किसी ऐसे देश से आया हो सकता है जहां कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर निगरानी रखने की क्षमता कम है। मूर्ति ने कहा, “अगर आप घर पर हैं और यह खबर सुन रहे हैं तो एहतियात बरतने के हमारे वह उपाय नहीं बदलेंगे जिनसे वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। कोविड के प्रसार को रोकने के लिए मास्क लगाना, सामाजिक दूरी रखना, हाथ धोना अब भी कारगर हैं।”
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