वो देखता रहा और 2000 लोगों ने लगा लिया मौत को गले
नई दिल्ली: यह घटना है हिटलर के अंतिम समय की जब द्धितीय विश्व युद्ध में फ्रांस ने जर्मनी पर आक्रमण किया था। मेनफ्रेड शूस्टर 10 वर्ष की उम्र में आधुनिक युरोपियन इतिहास की सबसे बडी
नई दिल्ली: यह घटना है हिटलर के अंतिम समय की जब द्धितीय विश्व युद्ध में फ्रांस ने जर्मनी पर आक्रमण किया था।
मेनफ्रेड शूस्टर 10 वर्ष की उम्र में आधुनिक युरोपियन इतिहास की सबसे बडी सामुहिक आत्महत्या का गवाह है।
मेनफ्रेड शूस्टर अब 70 साल के हैं और वो घटना उनके ज़हन में आज भी ताज़ा है जब डरी घबराई 50 महिलाओं ने अपने बच्चों के साथ नदी में चलांग लगाकर आत्हत्या कर ली थी।
यह घटना 1 मई 1945 की है और जगह थी जर्मनी का शहर डेमिन । दूसरे विश्व युद्ध में हिटलर की हार होने लगी थी और सोवियत सेना जर्मनी में दाख़िल हो चुकी थी। ये ख़बर फ़ैलते ही चारों तरफ़ दहशत फ़ैल गई और 2000 से ज्यादा लोगों ने मारे डर के खुद को मौत के घाट उतार दिया।
मेनफ्रेड उस भयानक दिन को आज भी नही भूल सकते जब मां अपने बच्चों को अपने ही हाथों से मार रही थी और बच्चे मां- मां चिल्ला रहे थे। दिल दहला देने वाला था वो मंज़र।
शूस्टर और उनका परिवार कुछ हफ्ते पहले पोलेंड से वापस लौटा था। उन्होंने बताया कि वह अपने दोस्तों के साथ ख़रीदारी करके लौट रहे थे तभी उन्हें पेनी नदी से चीख़े सुनाई दी।
उन्होंने लगभग 50 औरतों को अपने बच्चों के साथ पॅाव में पत्थर बांधकर नदी में छलांग लगाते देखा। सबसे दर्दनाक दृश्य तो वो था जब कुछ बच्चे अपनी मांओं से छिटकर किनारे जा लगे लेकिन सिवाय चीख़ने और अपनी मांओं को डूबता देखने के कुछ भी न कर सके।
दरअसल सोवियत संध दो सोवियत वार्ताकारों की हत्या से नाराज़ था और इसका बदला लेना चाहता था। सोवियत सेना ने न डेमिन शहर को राख में बदले के पहले हत्याएं की और महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया।
सोवियत आर्मी ने डेनिम शहर में को राख में तब्दील करने के पहले जर्मन महिलाओं से बलात्कार किया और लोगों को मौत के घाट भी उतारा।
मेनफ्रेड ने बताया कि सामूहिक आत्महत्या के कुछ दिनो के बाद उन्होंने महिलाओं और बच्चों के शवो को पानी से निकालकर कब्रों में दफनाते देखा था।
अखबारों में छपी ख़बरो के अनुसार कुछ लोगों ने अपने घरों में खुद को फांसी लगाकर, हाथ की नसें काटकर या फिर जहर खाकर आत्महत्या की।
ये घटना जर्मन द्वारा बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के दस्तावेज़ पर फ्रांस में हस्ताक्षर करने के आठ दिन बाद हुई थी। इसके बाद ही द्धितीय विश्व युद्ध औपचारिक रुप से ख़त्म हुआ था।
लेखक फ्लोरियन ह्यूबर अपनी किताब "चाइल्ड' प्रॉमिस मी देट यू विल शूट योअरसेल्फ" में बताते हैं कि कैसे दहशत और डर के कारण शहर के लोग ख़ुद की जान लेने पर मजबूर हो गए थे।
फ्लोरियन ह्यूबर का कहना है कि जो डेमिन शहर में हुआ वैसा जर्मनी के दूसरे शहर में भी हुआ। यह हमारे इतिहास की सबसे बडी आत्महत्या है।