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अफ्रीका में 2045 तक हर साल चलेगी लू

अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन के दौरान 1979 से 2015 तक तापमान के आंकड़ों की जांच की गई।

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लंदन: लू को आज असामान्य माना जाता है, लेकिन 30 साल के अंदर अफ्रीका में यह सामान्य घटना हो सकती है, जिसका महादेश में जीवन प्रत्याशा और फसलों के उत्पादन पर हानिकारक असर होगा, जो जलवायु परिवर्तन का एक बड़ा दुष्प्रभाव है।

यह बात शोधकर्ताओं ने कही है। अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन के दौरान 1979 से 2015 तक तापमान के आंकड़ों की जांच की गई।

अध्ययन में भाग लेने वाले संस्थानों में से एक नॉर्वे स्थित अंतर्राष्ट्रीय जलवायु और पर्यावरण अनुसंधान केंद्र (सीआईसीईआरओ) के जना सिल्लमान ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रति अतिसंवेदनशील महादेशों में अफ्रीका एक है और वैश्विक तापमान में थोड़ी वृद्धि का भी वहां के लोगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।"

उन्होंने कहा, "लू जैसी घटनाओं के खतरे को कम करने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन के प्रयास करने चाहिए। क्योंकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं के लगातार होने की संभावना है।" अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 20वीं सदी के अंतिम दो दशकों की तुलना में अफ्रीका का तापमान बढ़ा है और वहां लंबे समय तक लू चलती है।

अध्ययन के मुताबिक, गंभीर स्थिति होने पर अफ्रीका में 2045 तक हर साल सभी ऋतुओं में असामयिक भी लू चल सकती है। यह शोध 'एन्वायरमेंटल रिसर्च लेटर्स' नामक पत्रिका में छपा है।

इतना ही नहीं 2075 के जलवायु मॉडल के जरिए वैज्ञानिकों ने पाया कि इस सदी के अंत तक साल भर में चार बार असामयिक लू चल सकती है। अर्थात हर साल प्रत्येक ऋतु में गर्मी की एक खतरनाक पारी हो सकती है।

आंकड़े का प्रारूप बनाते समय वैज्ञानिकों ने अत्यधिक तापमानों की गंभीरता के साथ गर्मी के मौसम में लगातार गर्म दिनों को शामिल किया। यह दृष्टिकोण अपनाते हुए अध्ययन दल ने साल में विभिन्न समयों में विभिन्न जगहों पर लू चलने की घटनाओं की तुलना की।

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