चांद पर मिशन भेजने को लेकर अमेरिका और सोवियत संघ में था जबरदस्त कंपटीशन, जानिए कौन किस पर पड़ा भारी
अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
नई दिल्ली। दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाने और अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने के मकसद से भारत सोमवार को दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ का प्रक्षेपण करेगा। इसे बाहुबली नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-एमके तृतीय यान से भेजा जाएगा।
‘चंद्रयान-2’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। इससे चांद के बारे में समझ सुधारने में मदद मिलेगी जिससे ऐसी नयी खोज होंगी जिनका भारत और पूरी मानवता को लाभ मिलेगा। अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि अमेरिका के अपोलो 11 और सोवियत संघ के लूना 2 मिशन के बारे में।
पहली बार चांद पर उतरे थे नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन
दरअसल आज से करीब 50 साल पहले 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ईगल नाम के लैंडर के जरिए अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज एल्ड्रिन को चांद पर उतारा था। इसके बाद 19 नवंबर 1969 को नासा ने इंट्रेपिड नामक लैंडर के जरिए अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स पीट कॉनरैड और एलेन बीन को चांद पर उतारा। इन्होंने चांद पर भूकंप को रिकॉर्ड किया।
अपोलो 11 और अपोलो 12 मिशन की सफलता के बाद अमेरिका ने सफलता के नए मुकाम हासिल किए। अपोलो 15 मिशन में पहली बार 30 जुलाई 1971 को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने फॉल्कन लैंडर के जरिए डेविड स्कॉट और जेम्स इरविन को चांद पर उतारा। डेविड ने चंद्रमा पर खुली कार जैसा दिखने वाला लूनर रोविंग व्हीकल चलाया।
शुरुआत में कई बार असफल हुआ अमेरिका
दरअसल पढ़ने में यह जितना आसाना लगता है उतना है नहीं। अमेरिका ने 1950 के दशक से ही चंद्रमा को लेकर कई मिशनों की तैयारी की हुई थी। पचास के दशक में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चांद के विभिन्न पहलुओं को पहले जानने के लिए होड़ लगी हुई थी। दोनों ही देशों ने कई मिशन भेजने की कोशिश की और कई बार असफल हुए।
पहली बार चंद्रमा पर उतरा था सोवियत संघ का यान
एक तरफ जहां सोवियत संघ को पहली बार अपने यान को चंद्रमा की सतह पर उतारने में सफलता मिली तो वहीं अमेरिका पहली बार अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह पर उतारने में सफल रहा। 12 सितंबर 1959 को रूस के लूना 2 मिशन को कामयाबी मिली। इसी मिशन के तहत रूस पहली बार चंद्रमा पर यान उतारने में सफल रहा। इसके बाद 4 अक्टूबर 1959 को सोवियत संघ के लूना 3 मिशन चांद की उस तरफ की फोटोग्राफ लाने में कामयाब रहा जो पृथ्वी की तरफ नही है।