संयुक्त राष्ट्र: भारत ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों के खिलाफ आतंकवादियों के साइबर हमलों पर ध्यान देने के लिए आज सहयोगात्मक रोकथाम वाले रवैये की वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि इस खतरे से निपटने के लिए मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानून सही से नहीं तैयार किया गया। भारत ने 26/11 के मुंबई आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के लिए वित्तीय केंद्रों पर निशाना साधते हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरद्दीन ने कल यहां कहा, मुंबई में 2008 में हुए जघन्य आतंकी हमलों की जांच में खुलासा हुआ कि हमलावर पूरे भारत की आत्मा और अर्थव्यवस्था पर असर डालना चाहते थे। उन्होंने कहा, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशन और होटलों समेत हुए इन हमलों की हमारी सीमा पार से सोचे समझे तरीके से योजना बनाई गयी थी ताकि न केवल एक व्यस्त महानगर में लोगों का रोजमर्रा का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो बल्कि एक अरब जनता वाले देश पर भी निशाना साधा जा सके।
आतंकवादी कृत्यों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर खतरा महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों का संरक्षण पर सुरक्षा परिषद में हुई चर्चा को संबोधित करते हुए अकबरद्दीन ने कहा कि मुंबई, न्यूयार्क और लंदन जैसे बड़े शहर निशाना बनाये गये हैं क्योंकि वित्तीय केंद्रों के तौर पर काम करने वाले शहरों पर असर पड़ने से कई तरीके से देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है। हालांकि उन्होंने साइबर हमलों के खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय कानून की कमी का जिक्र करते हुए कहा कि कई साल तक चिंता जताये जाने के बाद भी राज्यों ने साइबरक्षेत्र से खतरों के मुद्दों पर ध्यान देने के लिए कुछ ही अंतरराष्ट्रीय उपकरणों पर ध्यान दिया है। अकबरद्दीन ने कहा, वर्तमान अंतरराष्ट्रीय कानून को साइबर हमलों का जवाब देने के लिहाज से सही से नहीं बनाया गया।
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