अंकारा: तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने संकेत दिए हैं कि इस साल वह यूरोप के उन तमाम राष्ट्रों की सरकारों के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं जिनके साथ उनके विवाद हुए हैं। एर्दोआन ने कहा कि तुर्की को निश्चित रूप दुश्मनों की संख्या घटानी होगी और मित्रों की संख्या बढ़ानी होगी। (सीमा पर भारतीय सैनिकों की छापेमारी को पाक सेना ने किया खारिज )
तुर्की के अखबार ‘हुर्रियत’ में कल प्रकाशित बयान में एर्दोगन ने जर्मनी, नीदरलैंड और बेल्जियम के नेताओं को ‘‘पुराना मित्र’’ बताते हुए उनके साथ हालिया संबंध को ‘‘कुछ बेहतर’’ बताया और उल्लेख किया कि वह तुर्की की तरह ही यरूशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के विवादित अमेरिकी फैसले का विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जर्मनी या नीदरलैंड या बेल्जियम के साथ हमें कोई समस्या नहीं है।’’ अफ्रीकी दौरे से लौटने के बाद एर्दोगन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘इसके विपरीत, सत्ता में जो लोग हैं वह मेरे पुराने मित्र हैं। उन्होंने मुझे गलत समझा लेकिन यह अलग मामला है।’’ इस साल की शुरुआत में एर्दोगन की शक्तियां बढ़ाने के लिये हुए जनमत संग्रह से पहले कई देशों में अधिकारियों ने तुर्की सरकार के मंत्रियों को वहां राजनीतिक रैलियां आयोजित करने से रोका था, जिससे तुर्की एवं कुछ यूरोपीय देशों के संबंधों में खटास आ गयी थी।
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