लंदन: ब्रिटेन ने आज घोषणा की कि वह अगले माह से देश में अध्ययन के दौरान यूरोपीय देशों से बाहर के छात्रों के काम करने पर रोक लगा देगा। इस घोषणा से भारत जैसे देशों से यहां आए छात्र प्रभावित होंगे।
ब्रिटिश आव्रजन मंत्री जेम्स ब्रोकेनशाइर ने कहा कि अगले माह से यूरोपीय देशों के बाहर के जो छात्र जन वित्त पोषित आगे की शिक्षा :पब्लिकली फन्डेड फरदर एजुकेशन..:एफई: के कालेजों में पढ़ने के लिए ब्रिटेन आते हैं वह एक सप्ताह में 10 घंटे काम करने का अधिकार खो देंगे।
ब्रोकेनशाइर ने कहा कि आव्रजन नियमों का उल्लंघन करने वाले लोग ब्रिटिश रोजगार बाजार में गैरकानूनी तरीके से पहुंच को बेचना चाहते हैं और बड़ी संख्या में लोग इसे खरीदने के इच्छुक भी हैं।
ब्रिटिश संसद में नए नियमों की शुरूआत के बाद ब्रोकेनशाइर ने कहा ‘‘हमारे सुधारों में अंग्रेजी भाषा की परीक्षा की शुरूआत, फर्जी कालेजों के सैकड़ों छात्रों से प्रायोजकता का अधिकार हटाना तथा रोजगार बाजार में छात्रों की पहुंच पर रोक शामिल है। ये सभी सुधार ब्रिटेन के लाभ के लिए आव्रजन को नियंत्रित करने की हमारी योजना हैं।’’
इस फैसले को उचित ठहराते हुए ब्रिटेन के गृह विभाग ने आधिकारिक आंकड़े बताये जिनके अनुसार, पिछले साल गैर यूरोपीय संघ के 121,000 छात्र ब्रिटेन आए लेकिन केवल 51,000 ही जा रहे हैं। गैर यूरोपीय संघ के छात्रों पर अध्ययन के दौरान काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही ये छात्र अपना पाठ्यक्रम पूरा होने पर वीजा के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे।
नए नियमों के अनुसार, एफई कालेजों के लिए जारी होने वाले छात्र वीजा की अवधि भी तीन साल से घटा कर दो साल कर दी गई है और उसके बाद उन्हें देश छोड़ना होगा।
एफई कालेज शैक्षिक संस्थान हैं जो पूर्णकालिक विश्वविद्यालय के क्षेत्र से बाहर संचालित होते हैं। इनमें कई व्यावसायिक कालेज शामिल हैं।
समझा जाता है कि नए नियम भारतीय छात्रों के लिए अवरोधक साबित होंगे जो ब्रिटेन के लिए आवेदन करते हैं और अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे वैकल्पिक गंतव्य चुनते हैं।
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