कैनबरा: क्वीन्सलैंड और वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया राज्यों की सरकारों ने 40 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका वैक्सीन नहीं लगाने की सलाह देते हुए कहा है कि इनसे खून का थक्का जमने का जोखिम है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की सरकार सभी के लिए एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की खुराक उपलब्ध करा रही है। ऑस्ट्रेलिया के दोनों राज्यों की सलाह ब्रिटेन की सरकार के दिशा-निर्देशों पर आधारित है, वहीं संघीय सरकार ने फाइजर वैक्सीन की कमी का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीनेशन की रफ्तार को तेज करने की जरूरत बताई है।
संघीय और राज्य सरकारों के बीच इस विरोधाभास से संशय की स्थिति पैदा हो गयी है। ऑस्ट्रेलिया की करीब आधी आबादी क्वीन्सलैंड, वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, न्यू साउथ वेल्स और नदर्न टेरिटरी में रहती है। ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के पास वैक्सीन के केवल दो विकल्प हैं और स्थानीय रूप से बनाये जा रहे एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की अधिक मात्रा उपलब्ध है।
बता दें कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया के वैक्सीनेशन अभियान में मुख्य पिलर का काम कर रही है. वहीं, जब यूरोपियन देशों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की वजह से ब्लड क्लॉटिंग के मामले देखने को मिले तो अप्रैल में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सिर्फ 50 साल से ऊपर के उम्र के लोगों को इस वैक्सीन को लगाने की सिफारिश की।
ये निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि 50 साल से अधिक उम्र के लोगों का कोविड-19 संक्रमित होने का खतरा अधिक है। वहीं, युवाओं में ब्लड क्लॉट के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। भारत में एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन कोवीशील्ड के नाम से बनती है। देश में कोवीशील्ड वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के बीच में 12 से 16 हफ्तों का गैप रखा गया है।
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