कोरियाई संकट से निपटने के लिए UN महासचिव ने किया राजनीतिक हल का आवाह्न
उत्तर कोरिया के लगातार बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु परीक्षणों के कारण हाल के महीनों में कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कोरियाई प्रायद्वीप में मौजूदा स्थिति का राजनीतिक हल निकालने का आवाह्न किया। उत्तर कोरिया के लगातार बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु परीक्षणों के कारण हाल के महीनों में कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। गुटेरेस ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, इस समस्या का केवल राजनीतिक समाधान हो सकता है। सैन्य कार्वाई से इतने बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है जिससे उभरने में कई पीढ़ियां लग जाएंगी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल परीक्षणों से कोरियाई प्रायद्वीप और उससे बाहर बड़े स्तर पर अस्थिरता और तनाव पैदा हुआ है जिसे देखते हुए सुरक्षा परिषद में एकता काफी अहम है। (मलेशिया के एक स्कूल में 25 लोगों की मौत, ज्यादातर बच्चे शामिल)
उन्होंने कहा कि इस सप्ताह सुरक्षा परिषद में सर्वसम्मति से पारित हुए प्रस्ताव से उत्तर कोरिया को यह स्पष्ट संकेत दिया गया कि उसे अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। उन्होंने सभी सदस्य देशों से इसे और सुरक्षा परिषद के अन्य संबंधित प्रस्तावों को पूरी तरह लागू करने का आवाह्न किया। इस बीच एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल को दिए एक साक्षात्कार में पूर्व शीर्ष अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर जो नए प्रतिबंध लगाए हैं वे पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, प्रतिबंध एक कदम आगे बढ़ने वाले हैं लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। यह निराशाजनक है कि रूस और चीन कड़े प्रतिबंध लगाने पर सहमत नहीं होंगे क्योंकि इसकी जरुरत है। हम होक्काइदो पर उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम और बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के बाद संकट के नए और खतरनाक चरण में हैं।
उन्होंने कहा, विश्व समुदाय को उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी ताकि उत्तर कोरियाई लोगों को उनका परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए मनाया जा सके और इस संकट को कम करने के लिए बातचीत करने पर सहमत किया जा सके। बर्न्स ने कहा कि चीन का यहां प्रत्यक्ष हित है लेकिन वे उत्तर कोरिया के खिलाफ अपना प्रभाव दिखाने से हिचक रहे हैं।