मेलबर्न: पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट ने आज यूरोपीय देशों से स्वयं के लिए खड़े होने की अपील करते हुए उनसे कहा है कि या तो वे ऑस्ट्रेलिया की सीमा सुरक्षा नीतियों को अपनाएं या फिर अनर्थकारी गलती का जोखिम उठाएं। एबट लंदन के गिल्डहॉल में मारग्रेट थैचर व्याख्यान में बोल रहे थे। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद यह उनका पहला बड़ा भाषण था। एबट ने कहा, कोई भी देश या महाद्वीप खुद को मूल रूप से कमजोर किए बिना अपने यहां आने वाले सभी लोगों के लिए अपनी सीमाएं नहीं खोल सकता। उन्होंने कहा, इसके लिए कुछ बल, व्यापक साजो सामान और खर्च की जरूरत पड़ेगी। यह हमारे अंत:करण को कष्ट देगा। उन्होंने कहा, फिर भी यूरोप में आ रहे मानवीय सैलाब को रोकने का यही एकमात्र रास्ता है। यह इसे संभवत: हमेशा के लिए बदल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पथभ्रष्ट परोपकारिता यूरोप को अनर्थकारी गलती की ओर ले जा रही है।
उन्होंने हॉवर्ड सरकार के शरणार्थी मॉडल की सफलता और नौकाओं को लौटा सकने के सरकार के सामथ्र्य का संदर्भ दिया। उन्होंने कहा, किसी के लिए जरूरत से ज्यादा दया निश्चित तौर पर सभी के लिए न्याय को कमजोर करती है। एबट ने इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी समूहों के पीछे काम करने वाली विचारधारा से निपटने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, बेहद दुखद है कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के नेताओं के सम्मेलन में सिर्फ हिंसक चरमपंथ से निपटने की बात की गई। इसमें उस खलीफा से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने की बात नहीं की गई, जो इस समय हिंसक चरमपंथ के लिए सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत बना हुआ है। एबट ने अपने देश की तारीफ करते हुए कहा कि वह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जो मानव तस्करी के मॉडल को एक बार नहीं बल्कि दो बार सफलतापूर्वक पराजित करने में कामयाब रहा है।
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