कोलकाता: पश्चिम बंगाल में जब-जब चुनाव होने होते हैं तब-तब राज्य में हिंसा बढ़ जाती है। आम लोगों की हत्याएं होने लगती हैं। प्रशासन और पुलिस बेबस नजर आते हैं। हिंसा को रोकने के लिए न्यायालयों को हस्तक्षेप करना पड़ता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। प्रदेश में 8 जुलाई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदान होना है और उससे पहले प्रदेशभर में जबरदस्त हिंसा हो रही है। कई लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं और हिंसा की वजह से सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं।
नामांकन के अंतिम दिन भी हुई हिंसा
प्रदेश में हो रही हिंसक घटनाओं को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव खत्म होने तक पूरे प्रदेश में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है। वहीं गुरुवार 15 जून को नामांकन के अंतिम दिन भी राज्य में कई हिंसक घटनाएं हुईं, जिसमें कम से कम 4 लोगों की मौत हुई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। 13 जून को कोर्ट ने आदेश दिया था कि पूरे प्रदेश में केंद्रीय बल तैनात किए जाएं, जिसके बाद गुरुवार को राज्य चुनाव आयोग ने केंद्रीय बलों की तैनाती के आदेश पर कोर्ट से पुनर्विचार करने की अपील की है।
टीएमसी ने कोर्ट के आदेश का जताया विरोध
वहीं केंद्रीय बलों की तैनाती के मुख्य न्यायाधीश की बेंच के आदेश के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता मदन मित्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को पंचायत चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल के जिलों में चल रही हिंसा के बीच केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का निर्देश दिया है। अब पार्टी लड़ने के साथ-साथ केंद्रीय बलों और उनकी यातना का सामना करने के लिए भी तैयार है।
बीजेपी ने कोर्ट के आदेश का किया स्वागत
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने कोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया है। पार्टी नेता शुवेंदु अधिकारी ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से बंगाल की जनता का विश्वास जीतेगा और वे टीएमसी के खिलाफ बिना किसी डर से वोट कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस आदेश से प्रदेश में हो रही राजनीतिक हिंसा थमेगी और लोकतंत्र की स्थापना हो सकेगी। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव को शांति और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न कराने के लिए कोर्ट का यह आदेश अपनी निर्णायक भूमिका निभायेगा।