सुप्रीम कोर्ट ने कथित नगरपालिका भर्ती घोटाला मामले में ममता सरकार को झटका दिया है। इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच की जा रही है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस केस पर जारी जांच पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सर्वोच्च अदालत ने तत्काल सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
छुट्टियों के बाद ही सुनवाई करेगी सुप्रीम अदालत
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत 3 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी, जब ग्रीष्मावकाश के बाद अदालत का कामकाज शुरू होगा। पीठ ने कहा कि तब तक राज्य सरकार हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही स्थगित करने का अनुरोध कर सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हम मामले की सुनवाई तीन जुलाई को करेंगे। तब तक आप वहां (उच्च न्यायालय के समक्ष) स्थगन का अनुरोध कर सकते हैं।’’
वकीलों ने कोर्ट में दी ये दलील
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए पीठ से आग्रह किया और कहा कि मामले के अभियुक्तों को सुरक्षा की आवश्यकता है, और किसी भी देरी के कारण सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उनके खिलाफ जांच आगे बढ़ाएंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का विरोध किया और कहा कि सीबीआई या ईडी जांच के खिलाफ कोई राज्य सरकार कैसे आगे आ सकती है।
क्या है पूरा मामला
फर्नांडिस ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि वह तीन जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी। पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पारित 22 मई के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पीठ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा सुनाए गए 21 अप्रैल, 2023 के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था, जिसे बाद में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा द्वारा सुनाए गए 12 मई, 2023 के निर्णय द्वारा संशोधित किया गया था। यह कथित घोटाला पश्चिम बंगाल में विभिन्न नगर पालिकाओं में क्लर्क, सफाई कर्मचारी, चपरासी, चालक आदि की भर्ती में अनियमितताओं से संबंधित है।
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