West Bengal: पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री को राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने के प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूरी दे दी। राज्य सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने बताया कि राज्य विधानसभा में जल्द ही विधेयक के रूप में प्रस्ताव पेश किया जाएगा। बसु ने कहा, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने गवर्नर की जगह पर मुख्यमंत्री को राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी यूनिवर्सिटियों का चांसलर बनाने के प्रस्ताव को आज अपनी मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव को जल्द ही विधानसभा में एक विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा।’
17 यूनिवर्सिटियों के चांसलर हैं गवर्नर धनखड़
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ वर्तमान में राज्य के 17 राज्य संचालित यूनिवर्सिटियों के पदेन कुलाधिपति हैं। राज्य सरकार के फैसले पर राजभवन ने कोई बयान नहीं दिया है। बता दें कि जुलाई 2019 में राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से धनखड़ का कई मुद्दों पर राज्य में ममता बनर्जी सरकार के साथ विवाद रहा है। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल की जगह प्रदेश के विश्वविद्यालयों का चांसलर बनाने के प्रस्ताव को शिक्षाविदों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।
‘सरकार का फैसला स्वायत्तता का उल्लंघन है’
कुछ शिक्षाविदों ने इस कदम को शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन बताया है जबकि कुछ अन्य शिक्षाविदों ने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रमुखों और सरकार के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा देने में मदद करेगा। प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अमल मुखोपाध्याय ने कहा कि यह निर्णय गैर जरूरी था और इससे केवल हायर एजुकेशन के संस्थानों के ऑटोनॉमस स्टैटस को नुकसान पहुंचेगा। प्रेसीडेंसी कॉलेज अब एक विश्वविद्यालय बन चुका है। मुखोपाध्याय ने कहा, ‘सीएम को चांसलर बनाने का प्रयास एक राजनीतिक कदम के अलावा और कुछ नहीं है। इससे संस्थानों में अकादमिक माहौल खराब हो सकता है।’
‘सीएम अकादमिक विकास के बारे में चिंतित’
शिक्षाविद् पबित्रा सरकार ने कहा कि राज्यपाल सदियों से इस राज्य में यूनिवर्सिटियों के चांसलर की जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं और अब राज्य के मंत्रिमंडल ने इसे उलटने का फैसला किया है। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘हम इस तरह के कदम के पीछे का कारण नहीं जानते हैं। क्या यह अकादमिक माहौल को बेहतर बनाने में मदद करेगा?’ प्रसिद्ध इतिहासकार और भारतविद् नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने हालांकि इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ‘हर कोई जानता है कि सीएम राज्य में अकादमिक विकास के बारे में चिंतित हैं। यूनिवर्सिटी के मामलों पर पकड़ रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए चांसलर का पद संभालना उचित होगा।’