कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बोनगांव में कोविड-19 के एक संदिग्ध मरीज ने सड़क पर तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया क्योंकि उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए आयी एम्बुलेंस में वह खुद से सवार नहीं हो सके। एम्बुलेंस के साथ पीपीई किट पहने कर्मचारी भी आए थे, लेकिन उन्होंने सांस लेने में गंभीर परेशानी से जूझ रहे 68 वर्षीय माधव नारायण दत्ता को वाहन में सवार होने में मदद नहीं की। इतना ही नहीं, साथ में मौजूद दत्ता की पत्नी आसपास से गुजरने वालों से भी गुहार लगाती रहीं, लेकिन सभी लोग तमाशबीन बन कर उस बुजुर्ग को तड़प-तड़प कर मरता हुआ देखते रहे।
इस पूरे घटनाक्रम का करीब छह मिनट का वीडियो वायरल हुआ है। कहा जा रहा है कि वीडियो शनिवार का है और यह रविवार को वायरल हो गया। इस वीडियो में दत्ता को बार-बार एम्बुलेंस में चढ़ने का प्रयास करते, दत्ता की पत्नी को उनकी मदद करने की कोशिया करते और अंत में थक-हार कर बैठने के बाद रोते-बिलखते हुए पति की मदद के लिए लोगों से गुहार लगाते देखा और सुना जा सकता है।
यह एम्बुलेंस दत्ता को कोलकाता के अत्याधुनिक अस्पताल में ले जाने वाली थी। इस वीडिया में दत्ता को 30 मिनट तक एम्बुलेंस में चढ़ने का असफल प्रयास करने और सड़क पर तड़प कर मरते हुए देखा जा सकता है। इतना ही नहीं उनका शव भी वहीं सड़क पर एम्बुलेंस के पास पड़ा रहा। वीडियो में पीपीई किट पहने एक व्यक्ति को कुछ मीटर की दूरी पर खड़ा देखा जा सकता है, लेकिन वह दत्ता की मदद को आगे नहीं आया।
बोनगांव सब-डिविजनल अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, दत्ता को शनिवार शाम करीब सात बजे अस्पताल लाया गया, उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। उन्हें कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों के वार्ड में भर्ती कर लिया गया। सूत्रों ने बताया कि दत्ता की हालत बिगड़ने के बाद रात करीब 10 बजे डॉक्टरों ने उन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में रेफर कर दिया, जो वहां से करीब 71 किलोमीटर दूर है। एक एम्बुलेंस का इंतजाम किया गया, लेकिन दत्ता शायद कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, इस डर से किसी ने उनकी मदद नहीं की।
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। दत्ता की पत्नी ने अपने पति की मौत के लिए सब-डिविजनल अस्पताल की लापरवाही और निष्ठुरता को जिम्मेदार बताया है। कोविड-19 प्रतिक्रिया नीति पर वैश्विक सलाहकार बोर्ड के सदस्य अभिजित चौधरी ने कहा, ‘‘यह अमानवीय घटना है। ऐसी घटना की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। ऐसा लगता है कि कोविड-19 के डर ने हम सभी को अमानवीय बना दिया है।’’