कोलकाता: ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का रुख किया है। राज्य सरकार और धनखड़ के बीच कानून-व्यवस्था, बंगाल में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भूमिकाओं से लेकर प्रशासनिक कामकाज को लेकर वाद-विवाद रहा है। पत्र में, राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन ने राज्यपाल कार्यालय के शपथ के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने राष्ट्रपति को इस मामले पर एक ज्ञापन भेजा।
रॉय ने कहा, "हमने एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव में विफल रहे हैं और बार-बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानून का उल्लंघन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद-156 की धारा 1 के तहत राष्ट्रपति की इच्छा तक राज्यपाल पद पर आसीन होता है। हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि इस इच्छा को वापस ले जिसका अभिप्राय है कि वह इन राज्यपाल को हटाएं।"
उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा है कि पिछले साल जुलाई में जब से वह राज्य में आए हैं वह नियमित रूप से ट्वीट कर रहे हैं, संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं और टेलीविजन चैनलों की चर्चाओं में शामिल हो रहे हैं जहां पर वह नियमित रूप से राज्य सरकार के कामकाज, हमारे अधिकारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर रहे हैं। यहां तक कि एक बार उन्होंने विधानसभा के स्पीकर के आचरण पर टिप्पणी की। उनका ऐसा प्रत्येक कदम उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।’’
तृणमूल सांसद ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को असहज करने के लिए धनखड़ भाजपा नीत केंद्र सरकार की ओर से इस तरह के बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा पश्चिम बंगाल के 75 साल के इतिहास में नहीं हुआ। अगर उन्हें कुछ कहना है तो वह संविधान में दिए गए तरीके से ऐसा कर सकते हैं न कि ट्वीट या प्रेस वार्ता करके।’’ रॉय ने धनखड़ के उन बयानों को रेखांकित किया जिसमें उन्होंने बंगाल व्यापार सम्मेलन पर हुए खर्च का हिसाब मांगा था और 25 आईपीएस अधिकारियों को कथित धमकी देने के लिए मुख्यमंत्री से माफी की मांग की थी।
इस पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक कर्तव्य का अनुपालन कर रहे हैं, उन्होंने पाया कि राज्य सरकार कई मानदंडों पर सही काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा राज्यपाल को हटाने के लिए राष्ट्रपति का रुख करने से कोई असर होगा। राष्ट्रपति राज्यपाल की भूमिका पर अपनी समझ से कार्यवाही करेंगे।’’ कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘राज्यपाल राज्य के प्रमुख होने के नाते संवैधानिक मापदंड़ों के तहत काम कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ऐसा कर रही है क्योंकि वह भयभीत है।’’
रॉय के अलावा, तृणमूल के लोकसभा सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय, कल्याण बनर्जी, काकोली घोष दस्तीदार और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ज्ञापन के अन्य हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिन्होंने धनखड़ को कार्यालय से हटाने की मांग की है। इससे पहले कांग्रेस सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने भी राज्य में शांति भंग करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए धनखड़ को तत्काल पद से हटाने की मांग की थी।