यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच कर रही एजेंसी टीम को जांच की धीमी रफ्तार को लेकर फटकार लगाई। विशेष अदालत के न्यायाधीश ने केंद्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारियों को यह स्वीकार करने के लिए कहा कि क्या वे मामले में समय पर जांच नहीं कर सकते।
पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने गुरुवार को केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों और उसके वकील से कहा, "बेहतर होगा कि आप कलकत्ता हाईकोर्ट जाएं और उन्हें सूचित करें कि जांच करना आपकी सीमा से बाहर की बात है। ऐसा लगता है कि जांच आपकी क्षमता से परे है।"
न्यायाधीश ने एजेंसी से जांच प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा तय करने को भी कहा। सीबीआई के वकील का यह जवाब कि घोटाले में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने को देखते हुए जांच की प्रक्रिया में देरी हो रही है, न्यायाधीश को और भी नागवार गुजरा।
न्यायाधीश ने कहा, "आप कब तक वही रिकॉर्ड बजाते रहेंगे? जांच प्रक्रिया पूरी करनी होगी, भले ही संलिप्तता हजारों में हो।"
चटर्जी की ओर से जमानत याचिका दायर करते हुए उनके वकील ने दलील दी कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं होने के बावजूद सीबीआई उनके मुवक्किल को घोटाले का मास्टरमाइंड बता रही है। वकील ने तर्क दिया, "केंद्रीय जांच एजेंसी को यह बताना चाहिए कि वे मेरे मुवक्किल को मास्टरमाइंड क्यों बता रहे हैं।"
हालांकि, अंतत: सीबीआई को फटकारने के बावजूद न्यायाधीश ने चटर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी और उनकी न्यायिक हिरासत 14 अप्रैल तक बढ़ा दी।