कोलकाता की एक अदालत ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या मामले में सोमवार को सुनवाई शुरू की। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बन दास की अदालत में बंद कमरे में मामले की सुनवाई की गई। इस दौरान, मुख्य आरोपी संजय रॉय अदालत में मौजूद था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मृतका के पिता भी गवाह के रूप में अदालत में मौजूद थे।
रॉय को दोपहर में अदालत लाया गया। उसने अदालत से बाहर आते समय एक बार फिर दावा किया कि वह बेकसूर है और उसे प्रशासन ने मामले में फंसाया है। रॉय ने संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने मुझे आज भी बोलने नहीं दिया। मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे फंसाया गया है।”
निर्दोष होने का दावा कर चुका है संजय
चार नवंबर को जब रॉय के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, तब भी उसने निर्दोष होने का दावा किया था। रॉय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), धारा 66 (मौत का कारण बनने या व्यक्ति के कोमा में जाने के लिए सजा) और 103 (हत्या के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया है। कोलकाता पुलिस ने आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष में उस महिला चिकित्सक का शव मिलने के एक दिन बाद रॉय को गिरफ्तार किया था, जिसकी कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी। इस घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश फैल गया था।
पकड़े जाने के बाद स्वीकार किए थे आरोप
संजय रॉय ने पकड़े जाने के बाद दुष्कर्म और हत्या की बात स्वीकार की थी। उसने यह भी बताया था कि उसने कैसे वारदात को अंजाम दिया। संजय रॉय ने पूछताछ में बताया था कि उसने घटना वाली रात शराब पी थी और रेड लाइट एरिया में भी गया था। इसके बाद अस्पताल आकर वारदार को अंजाम दिया और पुलिस स्टेशन जाकर सो गया। वह बंगाल पुलिस का वॉलंटियर भी था। इसी वजह से अस्पताल और पुलिस स्टेशन दोनों जगह उसका आना जाना लगा रहता था। (इनपुट- पीटीआई भाषा)