सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 5 बजे की डेडलाइन, काम पर नहीं लौटे आरजी कर अस्पताल के डॉक्टर
कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद, 9 अगस्त की शाम से जूनियर डॉक्टरों ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में काम करना बंद कर दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
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कोलकाता: आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर लौटने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवज्ञा की। मांगें पूरी होने तक डॉक्टर्स काम पर नहीं लौटेंगे। लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने के एक सप्ताह बाद, सैकड़ों जूनियर डॉक्टरों ने आज स्वास्थ्य भवन की ओर मार्च किया और आर जी कर अस्पताल में रेप एवं हत्या की पीड़िता डॉक्टर के लिए न्याय की मांग की। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मामले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त एवं कई स्वास्थ्य अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की।
प्रदर्शनकारी डॉक्टर पिछले सप्ताह लालबाजार में रीढ़ की हड्डी का मॉडल लेकर गए थे। इस बार प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने साल्ट लेक के सेक्टर-5 में पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय की ओर मार्च करते हुए झाड़ू और मस्तिष्क का मॉडल दिखाया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का उद्देश्य राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र को ‘साफ’ करना और डॉक्टरों की दुर्दशा के बारे में शीर्ष अधिकारियों को ‘सोचने’ के लिए मजबूर करना है। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए स्वास्थ्य भवन के प्रवेश द्वार पर पुलिस टुकड़ी तैनात की गई है और बैरिकेड लगाए गए हैं।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने की ये 5 मांगें
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अपनी 5 मांगों को स्वीकार करने के लिए राज्य सरकार को मंगलवार शाम पांच बजे तक का समय दिया था, जिसमें कोलकाता पुलिस आयुक्त, राज्य स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (डीएचई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) का इस्तीफा शामिल है। ऐसा न करने पर उन्होंने कहा कि वे स्वास्थ्य भवन के सामने धरना देंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारी डॉक्टरों को राज्य सरकार की प्रतिकूल कार्रवाई से बचने के लिए मंगलवार शाम पांच बजे तक ड्यूटी पर लौटने के लिए कहा था।
9 अगस्त को अस्पताल में मिला था महिला डॉक्टर का शव
कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद, 9 अगस्त की शाम से जूनियर डॉक्टरों ने प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में काम करना बंद कर दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। राज्य सरकार ने दावा किया है कि जूनियर डॉक्टरों के काम नहीं करने के कारण 23 मरीजों की जान चली गई है और कई का इलाज नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आंदोलनकारी डॉक्टरों से उनकी शिकायतें दूर करने के लिए सीधी बातचीत की पेशकश की थी। ममता ने कहा था, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने आपसे ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध किया है, और मैं उस अनुरोध को दोहराती हूं। अगर आपको कुछ कहना है, तो आपका हमेशा स्वागत है। आप 5 से 10 सदस्यों की एक टीम बना सकते हैं और मुझसे मिल सकते हैं।’’