बंगाल: ममता पर बरसे धनखड़, 'चुनाव बाद की हिंसा पर शांत क्यों? शुतुरमुर्गी रवैया स्वीकार्य नहीं'
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि राज्य में चुनाव के बाद कथित तौर पर हुई हिंसा से उपजी स्थिति खतरनाक और परेशान करने वाली है।
सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि राज्य में चुनाव के बाद कथित तौर पर हुई हिंसा से उपजी स्थिति खतरनाक और परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ममता बनर्जी ने शुतुरमुर्गी रवैया अपनाया है। धनखड़ ने सोमवार को उत्तर बंगाल की एक सप्ताह की यात्रा की शुरुआत की और इस दौरान उन्होंने हिंसा के शिकार हुए लोगों के साथ राज्य सरकार के बर्ताव की आलोचना की।
उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में दो मई के बाद हुई हिंसा के बारे में मुझे चिंता है। यह स्वीकार्य नहीं है। राज्य में स्थिति खतरनाक और परेशान करने वाली है। इस प्रकार की हिंसा ने लोकतांत्रिक ढांचे पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।” राज्यपाल ने कहा, “इतने हफ्ते गुजर जाने के बाद भी, राज्य सरकार इसे नकार रही है। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर शांत क्यों हैं? राज्य प्रशासन का शुतुरमुर्गी रवैया स्वीकार्य नहीं है।”
HC के संज्ञान में भी है हिंसा का मामला
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सौंपने संबंधी आदेश सोमवार को वापस लेने से इंकार करते हुये इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। अदालत ने मानव अधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जनहित याचिकाओं के एक समूह पर पारित आदेश को वापस लेने का पश्चिम बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। इन जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई।
पीठ ने 18 जून को पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव (डब्ल्यूएमएलएसए) की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह आदेश सुनाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन घटनाओं से 10 जून दोपहर 12 बजे तक 3243 लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया था कि कई मामलों की शिकायतों को पुलिस अधीक्षकों या संबंधित पुलिस थानों को भेजा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के साथ न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार शामिल है। पीठ ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि वह चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति गठित करें।