West Bengal Elections: किसके साथ बंगाली मुसलमान- 'दीदी या भाईजान'?
बीजेपी एकतरफ जहां बंगाल रूपी टीएमसी के किले को ढहा देने का दावा कर रही है, वो दूसरी तरफ ओवैसी और अब्बास सिद्दकी ममता दीदी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी को अपना किला बचाने के लिए दो तरफा चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में सियासी माहौल इस बार बेहद गर्म है। बीजेपी एकतरफ जहां बंगाल रूपी टीएमसी के किले को ढहा देने का दावा कर रही है, वो दूसरी तरफ ओवैसी और अब्बास सिद्दकी ममता दीदी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। ऐसे में ममता बनर्जी को अपना किला बचाने के लिए दो तरफा चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या पीरजादा फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दकी मुस्लिमों में अपनी लोकप्रियता को वोटों में तब्दील कर पाएंगे या नहीं। कल (शनिवार) असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल में अपनी एडवांस टीम निकाली है ताकि उनको पता चले कि मुसलमानों के बीच Silent वोटर किसे वोट देगा।
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कल कोलकाता से 60 किलोमीटर दूर एक रैली थी और यहां से बहुत सा डेटा ओवैसी की टीम ने इकट्ठा किया। इंडिया टीवी के रिपोर्टर इस रैली में मौजूद थे। अब्बास सिद्दीक़ी की ये रैली हुगली ज़िले में फुरफुरा शरीफ़ से क़रीब 100 किलोमीटर दूर उत्तर 24 परगना ज़िले के बादुड़िया में हुई। इस रैली में अब्बास सिद्दीकी को लेकर एक अलग दिवानापन देखने को मिला। बंगाल में मुस्लिमों के बीच राजनीति असदुद्दीन ओवैसी और अब्बास सिद्दीक़ी की मुलाक़ात के बाद और दिलचस्प हो गई है।
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पश्चिम बंगाल में क़रीब 30 फ़ीसद मुसलमान हैं...इस मुस्लिम वोट पर टीएमसी, कांग्रेस, लेफ्ट, ओवैसी और अब्बास सिद्दकी सबकी इस तबके पर नजर है। अब्बास सिद्दीक़ी और फुरफुरा शरीफ को मालूम है कि बंगाल में मुसलमान के वोट की क्या हैसियत है। मुसलमान चाहें तो किसी को सत्ता में पहुंचा भी सकते हैं और किसी की भी कुर्सी गिरा भी सकते हैं।
इसी को देखते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने अपना ग्राउंड वर्क तैयार किया है। असदुद्दीन ओवैसी का टारगेट पश्चिम बंगाल की 100 विधानसभा सीट हैं। वो जानते हैं कि पश्चिम बंगाल की 65 सीट ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट का सीधा असर हार जीत पर पड़ता है। मालदा, नादिया, उत्तरी 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद में मुसलमानों की आबादी ठीकठाक है। मुर्शिदाबाद में कुछ विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां 60 फ़ीसद से ज़्यादा मुसलमान हैं
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पश्चिम बंगाल की कुल 294 विधानसभा सीटों में से 98 विधानसभा क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। मुर्शिदाबाद में 66 फीसदी, यहां 22 विधानसभा सीट हैं। मालदा में 12 विधानसभा सीट हैं और यहां मुस्लिम आबादी 51 फीसदी से ज़्यादा है। उत्तरी दिनाजपुर में मुस्लिम आबादी क़रीब 50 फीसद है, यहां 9 विधानसभा सीट हैं। बीरभूम में मुस्लिम आबादी 37 फीसद है, यहां 11 विधानसभा सीट हैं। दक्षिण 24 परगना ज़िले में 35 फ़ीसद से ज़्यादा वोटर मुस्लिम हैं, यहां 31 विधानसभा सीट हैं।
इस वक़्त पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी और फुरफुरा शरीफ़ बंगाल की पॉलिटिक्स में बहुत हॉट सबजेक्ट हैं। फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा अब्बास सिद्दीकी से सब जुड़ना चाहते हैं। पीरज़ादा से असदुद्दीन ओवैसी मुलाक़ात कर चुके हैं। गठबंधन की ख़्वाहिश के साथ कांग्रेस की लोकल यूनिट हाईकमान को चिट्ठी लिख चुकी है। अब्बास सिद्दीक़ी जिन्हें बंगाल में भाईजान भी कहा जाता है, वो ममता बनर्जी को पहले सपोर्ट करते रहे हैं। कहते हैं नंदीग्राम में भीड़ जुटाने में अब्बास सिद्दीक़ी ने काफ़ी मदद की थी लेकिन इस वक़्त वो ममता बनर्जी की पार्टी TMC से ख़ुश नहीं हैं।
पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी की राजनैतिक हैसियत ऑन पेपर क्या है?
पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी फुरफुरा शरीफ़ से जुड़े हैं। ये वो जगह है जिसे कम से कम 4 से 5 करोड़ लोग मानने वाले हैं। मुसलमानों के अलावा हिंदू भी फुरफुरा शरीफ को मानते हैं। पश्चिम बंगाल में 27 से 30% फ़ीसदी मुसलमान हैं। बंगाल की 100 से ज़्यादा सीटों पर फुरफुरा शरीफ का असर है। अब्बास सिद्दीक़ी इसी हैसियत को पॉलिटिकल पावर में बदलना चाहते हैं। फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी ने अपनी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट तो बना ली है। वो 60 से 80 सीटों पर लड़ने का मन बना चुके हैं लेकिन सवाल है कि वो ख़ुद कितनी सीट जीत सकते हैं या फिर दूसरों को जिता सकते हैं।
क्या ओवैसी को मिलेगी अब्बास का फायदा?
बंगाल में फुरफुरा शरीफ के तकरीबन 4 करोड़ लोग फॉलोवर हैं। जानकारों का मानना है कि ओवैसी को लगता है अगर पीरदाजा उनके आए तो मुसलमानों का एक बड़ा तबका जो फुरफुरा शरीफ से जुड़ा है वो उनकी तरफ आ सकता है। ओवैसी अगर बिहार की तरह चल पड़े तो पश्चिम बंगाल में ममता दीदी की टेंशन ज़रूर बढ़ जाएगी। पिछले कुछ महीनों से पीरज़ादा अब्बास सिद्दीकी ने ममता बनर्जी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है...उनका आरोप है कि ममता मुसलमानों के वोट तो लेती हैं, लेकिन कोई काम नहीं करतीं।
अबतक सियासत से दूर था पीरजादा परिवार
पीरजादा परिवार ने अब तक सियासत से दूरी बनाकर रखी है, लेकिन अब इस खानदान की सियासी ख्वाहिशें जोर मार रही हैं। अब्बास सिद्दीकी जिस रास्ते पर बढ़ चले हैं उस पर उनके चाचा पीरजादा इब्राहिम सिद्दीकी भी उनका साथ दे रहे हैं। फुरफुरा शरीफ में किशनगंज की तरह एग्रेसिव माइनॉरिटी पॉलिटिक्स नहीं होती, यहां की मस्जिद पर लाउडस्पीकर भी नहीं लगे हैं। यहां नमाज भी शांति से होती है। फुरफुरा शरीफ के पीरजादा परिवार ने सिंगुर और नंदीग्राम आंदोलन के समय ममता का खुला समर्थन किया था क्योंकि वहां कई मुसलमानों की ज़मीन भी जा रही थी। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को लगता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने उनको वो तवज्जो नहीं दी जो उन्हें मिलनी चाहिए थी, इसलिए वह खुद बंगाल का पॉलिटिकल पानी टेस्ट करने निकले हैं।