ममता ने सख्त किए तेवर, पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता को किया गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल में हिंसा के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सख्त रूख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने बनर्जी ने बोगतुई गांव का दौरा भी किया, जहां आठ लोगों को कथित तौर पर जिंदा जलाकर मार दिया गया था।
रामपुरहाट/कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त रुख अख्तियार करने और अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सहयोगियों सहित बीरभूम हत्याकांड के सभी संदिग्धों को पकड़ने का आदेश देने के कुछ घंटे बाद, पुलिस ने गुरुवार को तीर्थनगरी तारापीठ स्थित एक होटल के पास से तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता अनारुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले दिन में, बनर्जी ने बोगतुई गांव का दौरा किया जहां आठ लोगों को कथित तौर पर जिंदा जलाकर मार दिया गया था। बनर्जी ने पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के साथ बात की और उन्हें मुआवजे के रूप में स्थायी सरकारी नौकरी और धनराशि की भी पेशकश की।
बनर्जी टीएमसी नेता भादु शेख के घर भी गईं, जिनकी हत्या के बारे में संदेह है उसी के बाद यह घटना हुई। बनर्जी ने शेख के परिजनों को भी यही प्रस्ताव दिए। बनर्जी ने कहा, ‘पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि रामपुरहाट हिंसा मामले के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। अदालत के समक्ष एक कड़ा मामला दायर किया जाएगा।’ बनर्जी ने कहा कि इस हत्याकांड के पीछे एक बड़ी साजिश हो सकती है। उन्होंने पीड़ितों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए और क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए दो-दो लाख रुपए के मुआवजे की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि घायलों में से प्रत्येक को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने पुलिस को टीएमसी नेता और रामपुरहाट -1 सामुदायिक ब्लॉक इकाई के अध्यक्ष अनारुल हुसैन को यह कहते हुए गिरफ्तार करने का निर्देश दिया कि उन्होंने इलाके में संभावित अशांति के बारे में स्थानीय लोगों की आशंका पर उचित ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद यह घटना हुई। बनर्जी के निर्देश के बाद बृहस्पतिवार शाम बोगतुई गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई।
जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोगतुई गांव में 50 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और ग्रामीणों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमलों और जवाबी हमलों के बाद पांच परिवारों के लगभग 69 लोग पड़ोसी गांवों में चले गए हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक तथ्यान्वेषी समिति और लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोगतुई गांव का दौरा किया। इन्हें पहले जाने से रोका गया था।
भाजपा की समिति में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृज लाल, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह और बंगाल भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार शामिल थे। समिति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पंचायत पदाधिकारी की हत्या के बाद हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। गांव का दौरा करने के बाद मजूमदार ने संवाददाताओं को बताया, ‘हम सामूहिक हत्या के बाद हालात का जायजा लेने के लिए यहां आए हैं। इस (टीएमसी) सरकार ने शासन करने का अपना नैतिक अधिकार खो दिया है। बोगतुई में जो हुआ वह मानवता के लिए शर्म की बात है।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री दावा कर रही थीं कि सभी दोषियों को दंडित किया जाएगा। दूसरी ओर पुलिस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रही है।’
इस बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में आठ लोगों की मौत के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं के साथ एक स्वत: संज्ञान याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। राज्य ने सीबीआई या एनआईए जांच के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच कर रहा है और उसे समय दिया जाना चाहिए।