चुनाव से पहले ही गिर सकती है ममता सरकार! भाजपा सांसद का दावा
पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सांसद की मानें तो अगले साल प्रस्तावित चुनाव से पहले ही राज्य की ममता सरकार गिर सकती है।
पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के सांसद की मानें तो अगले साल प्रस्तावित चुनाव से पहले ही राज्य की ममता सरकार गिर सकती है। यह दावा किया है भारतीय जनता पार्टी के सांसद अर्जुन ने। पत्रकारों से बातचीत में सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि यदि सुवेंदु अधिकारी भारतीय जनता पार्टी जॉइन करते हैं तो यह ममता सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि वे पार्टी में आए तो चुनाव से पहले ही पश्चिम बंगाल की सरकार गिर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सुवेंदु सरकार के भाजपा में शामिल होने के बाद तृणमूल कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।
बता दें कि पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और ममता सरकार में मंत्री शुभेंदु अधिकारी के बगावती तेवर अख्तियार करने से राजनीतिक संकट पैदा हो गया थाा उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बीच उनके भाजपा में शामिल होने की खबरें आ रही थीं। हालांकि, अब ये जानकारी मिल रही है कि शुभेंदु अधिकारी को पार्टी ने मना लिया है। वहीं अधिकारी के करीबी लोगों ने पार्टी नेतृत्व से उनके सुलह होने के दावे को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकारी की नाराजगी कायम है क्योंकि उनकी शिकायतों को दूर नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकारी भारी जनाधार वाले प्रभावशाली नेता हैं, जिन्होंने राज्य मंत्रिमंडल और अन्य पदों से इस्तीफा दे दिया था, जो कुछ दिन पहले तक उनके पास थे। करीबियों ने बताया कि अधिकारी इस बात पर कायम हैं कि उनके लिए पार्टी के साथ काम करना मुश्किल है।
ऐसा कहा जा रहा है कि जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया कि मंगलवार को पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी, सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय के अलावा चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद सभी मतभेद दूर हो गए हैं, उससे अधिकारी नाराज हैं। सूत्रों ने बताया कि अधिकारी पर्दे के पीछे हुई बैठक में क्या बात हुई, वह मीडिया में लीक नहीं करना चाहते हैं। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि अधिकारी ने पार्टी नेतृत्व को संदेश दिया है, ‘‘उनके लिए पार्टी के साथ मिलकर काम करना मुश्किल होगा क्योंकि नेताओं ने उनके द्वारा उठाई की समस्याओं का समाधान किए बिना और उन्हें बोलने का मौका दिए बिना मीडिया में झूठे दावे किए हैं।’’