ममता के मंत्री ने मनाया भाई दूज, राष्ट्रपति मुर्मू से की यह खास अपील
कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। राष्ट्रपति को इस बारे में खत लिखा गया है और उम्मीद है कि वह महिलाओं के हित में फैसला करेंगी।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने भाई दूज का त्योहार मनाया। इस दौरान उन्होंने बहनों को तोहफे भी दिए और कहा कि इस दिन बहन भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है और भाई भी बहन का साथ देने का वादा करते हैं। फिरहाद हकीम ने कहा "आज भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के बीच के रिश्ते को मजबूत करता है। बहनें भाई के लंबे और शांतिपूर्ण जीवन की प्रार्थना करती हैं।"
इस दौरान फिरहाद हकीम ने राष्ट्रपति मुर्मू से खास अपील की। जब उनसे पूछा गया कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में वह बहनों को सुरक्षित रखने का वादा कैसे पूरा करेंगे तो उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को सिर्फ फांसी की सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने इस कानून को लेकर राष्ट्रपति से अपील की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एक महिला होने के नाते राष्ट्रपति मुर्मू महिला सुरक्षा से कानून को अनुमति देंगी।
राष्ट्रपति के पास है अपराजिता विधेयक
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जमकर बवाल हुआ था। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए आपराजिता विधेयक पास किया। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित बलात्कार रोधी विधेयक विचार करने के लिए छह सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया था।
3 सितंबर को पारित हुआ था बिल
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ पारित किया था। प्रस्तावित कानून में, पीड़िता की मौत होने या उसके ‘कोमा’ जैसी स्थिति में जाने पर दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। विधेयक का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद जारी व्यापक प्रदर्शनों के मद्देनजर, यह विधेयक पेश व पारित करने के लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था।