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Hindi News पश्चिम बंगाल कोलकाता रेप-मर्डर केस: संदीप घोष पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, HC पर उठाए सवाल

कोलकाता रेप-मर्डर केस: संदीप घोष पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, HC पर उठाए सवाल

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। अब वे अपनी याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, उन्होंने हाई कोर्ट पर आरोप लगाया है।

sandeep ghosh- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संदीप घोष

कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक महिला ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की घटना के बाद एक तरफ जहां ममता सरकार ने दुष्कर्मियों को सजा देने के लिए विधानसभा में विधेयक पास कराया है। कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर अस्पताल में गैर कानूनी तरीके से कई तरह के कार्य संचालित किए जाने के आरोप लगे हैं। संदीप घोष से लंबी पूछताछ के बाद सीबीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। अब गिरफ्तारी के बाद संदीप घोष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

संदीप घोष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ करप्शन केस में सीबीआई की जांच का आदेश देते वक़्त उनके पक्ष को नहीं सुना। संदीप घोष ने इस मामले के ख़ुद को पक्षकार बनाने की अर्जी हाई कोर्ट में दाखिल की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा संदीप घोष ने करप्शन के आरोपों को हॉस्पिटल परिसर में हुई रेप की घटना के साथ जोड़े जाने से जुड़ी हाई कोर्ट के टिप्पणियों को भी हटाने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट संदीप घोष की अर्जी पर 6 सितंबर को सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूण, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच शुक्रवार को इस मामलेक की सुनवाई करेगी।

पीड़िता के परिवार के वकील ने कही ये बात

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लाए गए बलात्कार विरोधी विधेयक पर सीपीआई (एम) सांसद और आरजी कर पीड़ित परिवार के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा है कि, "उनके पास कानून बनाने की विधायी शक्ति है, और तदनुसार, वे एक बिल लाए हैं लेकिन यह बिल्कुल बेकार है। कोई भी एजेंसी एक सीमित अवधि के भीतर जांच पूरी नहीं कर सकती है और फिर उसे एक निश्चित समय में समाप्त कर सकती है। यह सब लोकलुभावन शब्द हैं। इससे उसे कोई फायदा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए यह एक और कदम है क्योंकि सबसे अधिक संभावना है कि इस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी नहीं दी जाएगी। वे फिर से केंद्र के खिलाफ चिल्लाएंगे, यही कारण है कि इस विधेयक को पेश करने के पीछे और कुछ नहीं है सीमा पर लोग इस प्रशासन के खिलाफ पूरी तरह से निराश और आक्रोशित हैं, उन्होंने सिर्फ लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटकाने का प्रयास किया है...''