कोलकाता: कोलकाता और उसके उपनगरीय क्षेत्रों में ईंधन के दाम में वृद्धि और कोरोना वायरस नियंत्रण को लेकर यात्रियों की संख्या सीमित किये जाने के बाद किराये में वृद्धि की मांग को लेकर प्राइवेट बसों के सड़कों से नदारद हो जाने के कारण लोगों को अपने गंतव्यों पर पहुंचने में बड़ी मुश्किल हो रही है। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा निर्धारित किराया लेकर बसों को चलाएं और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो फिर सरकार प्राइवेट बसों को अपने अधीन कर सरकारी ड्राइवरों द्वार चलवाएगी।
उधर, पश्चिम बंगाल द्वारा संचालित डब्ल्यूटीसी के बेड़े में बसें बढ़ायी गयीं लेकिन वे मांग के सामने अपर्याप्त साबित हो रही हैं। सरकारी बसों से उतने ही यात्री सफर कर सकते हैं जितने की उनकी बिठाने की क्षमता है। सावधानियां बरतने के सुझावों को धत्ता बताते हुए शहर और उपनगरीय क्षेत्रों में लोग पहले से भरी निजी बसों में घुस जाते थे जो उनके कार्यस्थल पर पहुंचने के लिए उपलब्ध थे। बड़ी संख्या में यात्रियों को इधर- उधर ले जाने वाली निजी बसों के संचालक एसोसिएशन ने कहा कि डीजल के उंचे दाम और कोरोना वायरस से पहले के वक्त की तुलना में कम यात्रियों की वजह से उनका घाटा बढ़ रहा है और उनके लिए बसें चलाना संभव नहीं होगा।
ऑल बंगाल बस मिनीबस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी ने कहा कि बस किराये में वृद्धि जैसे स्थायी हल से उनका धंधा व्यावहारिक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि समन्वय समिति ने सेवाएं रोकने का आह्वान नहीं किया है लेकिन रोजाना घाटे को ध्यान में रखते हुए मालिक वाहन अपने मार्गों से हटा रहे हैं। (इनपुट-भाषा)
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