कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने सोमवार को बीजेपी के चार विधायकों को शेष शीतकालीन सत्र के लिए 30 नवंबर तक ‘उल्लेख समय’ में हिस्सा लेने से रोक दिया, जिसके बाद विपक्षी पार्टी ने ‘प्रतिशोधी कार्रवाई का आरोप लगाया। बंदोपाध्याय ने कहा कि यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि चार बीजेपी विधायकों ने उल्लेख समय के दौरान अपनी बात रखने के लिए बुलाए जाने पर जवाब नहीं दिया, यह प्रक्रिया का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन था। चारों विधायक गोपाल साहा, हिरणमय चटर्जी, निखिल रंजन डे और पार्थ सारथी चट्टोपाध्याय कार्यवाही के दौरान स्कूल नोकरी घोटाले पर बीजेपी द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को पेश करने से अध्यक्ष के इनकार पर विरोध जता रहे थे और सदन से बाहर चले गए।
बीजेपी ने जताया विरोध
इन विधायकों का नाम पहले से सूचीबद्ध था लेकिन बंदोपाध्याय द्वारा पुकारे जाने पर वे नहीं आए। हांलाकि, इन विधायकों को बहस में भाग लेने, मतदान करने से नहीं रोका जाएगा और उनके अन्य अधिकार बने रहेंगे जिनके वे हकदार हैं। बीजेपी के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा ने फैसले को प्रतिशोधी बताया और कहा कि पार्टी के विधायक मंगलवार के सत्र के दौरान इसका विरोध करेंगे।
राज्य में है निरंकुश शासन: बीजेपी
तिग्गा ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार विपक्ष को जगह देने में विश्वास नहीं करती है, जो कि संसदीय लोकतंत्र में सर्वोपरि है। सत्तारूढ़ दल ने सदन में लोगों की मांग उठाने के लिए अतीत में मेरे सहित हमारे विधायकों को निलंबित कर दिया था। ऐसे निरंकुश शासन से और क्या उम्मीद की जा सकती है?’’