कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योति प्रिय मलिक को कोलकाता की एक विशेष अदालत ने कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में बुधवार को 50 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। इस घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। वर्ष 2011 से 2021 तक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग संभाल चुके मलिक को ईडी ने घोटाले की जांच के सिलसिले में 27 अक्टूबर, 2023 को यहां साल्ट लेक स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था।
बैंकशाल कोर्ट स्थित पीएमएलए (धन शोधन रोकथाम अधिनियम) अदालत के विशेष न्यायाधीश प्रशांत मुखोपाध्याय ने मलिक को 50 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। पूर्व मंत्री मलिक को 50,000 रुपये का जमानत बॉण्ड और 25-25 हजार रुपये के दो मुचलके जमा करने का भी निर्देश दिया गया। मलिक के वकीलों ने इस आधार पर उन्हें जमानत दिए जाने का अनुरोध किया कि वह लंबे समय से हिरासत में हैं और मुकदमा जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है। ईडी ने जमानत के अनुरोध का यह कहते हुए विरोध किया कि वह मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं।
गिरफ्तार किए जाने के समय मलिक पश्चिम बंगाल मंत्रिमंडल में वन विभाग संभाल रहे थे। पीएमएलए अदालत ने मामले में सह-आरोपी बकीबुर रहमान और बोंगांव नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शंकर आद्या को अगस्त, 2024 में जमानत दे दी थी। ईडी ने आरोप लगाया है कि मलिक का रहमान और आद्या से संबंध था। रहमान को अक्टूबर, 2023 में गिरफ्तार किया गया था जबकि आद्या को जनवरी, 2024 में गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने कथित राशन वितरण घोटाला मामले में 12 दिसंबर, 2023 को मलिक और रहमान के खिलाफ अदालत में आरोप-पत्र दाखिल किया था। आरोप-पत्र मलिक की गिरफ्तारी के 46 दिन बाद दाखिल किया गया था।
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