कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि देश में कोविड-19 संकट केंद्र के पिछले छह महीनों में ‘‘कोई काम न करने’’ का नतीजा है क्योंकि केंद्रीय मंत्री और नेता बंगाल पर ‘‘कब्जा करने के लिए’’ रोज राज्य में आ रहे थे। बनर्जी विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के विधायक बिमान बंदोपाध्याय के तीसरी बार अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित होने के बाद बोल रही थीं।
सांप्रदायिक उकसावे वाली गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा चुनाव जीतने में नाकाम रहने के बाद हिंसा भड़का रही थी। बनर्जी ने निर्वाचन आयोग में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘‘मैं चुनौती दे सकती हूं कि अगर निर्वाचन आयोग ने सीधे-सीधे उनकी मदद न की होती तो वे (भाजपा) 30 सीटें भी नहीं जीत पाते। इस चुनाव में निर्वाचन आयोग के सामने कुछ स्थानों पर छेड़छाड़ हुई।’
उन्होंने दावा किया, ‘‘अब वे (भाजपा) जनादेश को स्वीकार नहीं कर सकते और फर्जी वीडियो पोस्ट करके हिंसा भड़का रहे हैं।’’
उन्होंने प्रशासन को हिंसा और साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय बलों के कर्मी आरटी-पीसीआर कोविड-19 जांच कराए बिना चुनावों के दौरान राज्य में तैनात थे जिससे यह संक्रमण फैला। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र ने पिछले छह महीनों में काम नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल में दोहरे-इंजन वाली सरकार बनाने के लिए उन्होंने भारत को बर्बादी की कगार पर धकेल दिया। पिछले छह महीनों में केंद्र सरकार ने कोई काम नहीं किया और वे बंगाल पर कब्जा जमाने के लिए रोज यहां आते थे।’’
गौरतलब है कि कई केंद्रीय मंत्री और भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलावा पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार कर रहा था। बनर्जी ने टीकाकरण किए जाने की मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की प्राथमिकता नयी संसद इमारत, प्रधानमंत्री आवास और प्रतिमाओं पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय टीकाकरण करने की होनी चाहिए। वहीं, विपक्षी भाजपा विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।