पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को एक बार फिर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर राज्य में बाढ़ की स्थिति को और खराब करने का आरोप लगाया। बनर्जी ने कहा कि उन्होंने हाल में और पहले भी "कम से कम 10 बार" केंद्र सरकार से संपर्क किया, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार डीवीसी का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है और चिंता व्यक्त की कि यदि निगम ने और अधिक पानी छोड़ा तो बाढ़ की स्थिति और खराब हो सकती है।
ममता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गंगा कार्ययोजना, बाढ़ नियंत्रण और डीवीसी केंद्र सरकार के अधीन हैं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया है। यही कारण है कि बाढ़ आ रही है।’’ बनर्जी ने कहा, ‘‘हमने दस बार पत्र भेजे हैं, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया और पश्चिम बंगाल को नुकसान उठाना पड़ रहा है। डीवीसी कुछ नहीं करता; इसकी क्षमता घटकर 20 प्रतिशत रह गई है। अब, इसके निजीकरण के प्रयास हो रहे हैं।’’
पीएम को लिखे दो खत
शुक्रवार से बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो पत्र भेजे, जिसमें बाढ़ की स्थिति में हस्तक्षेप करने और धन जारी करने का अनुरोध किया गया। उन्होंने कहा कि बाढ़ मुख्य रूप से मानव निर्मित है, क्योंकि डीवीसी ने अपने बांधों से पानी को अनावश्यक रूप से छोड़ा है। रविवार को, पश्चिम बंगाल सरकार के दो अधिकारियों ने दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया, यह कदम बनर्जी द्वारा डीवीसी के साथ संबंध तोड़ने की धमकी के कुछ दिनों बाद उठाया गया।
राहत शिविरों का दौरा
बनर्जी ने पूर्व बर्धमान जिलाधिकारी कार्यालय में एक प्रशासनिक बैठक की और राहत शिविरों का दौरा किया। उन्होंने चेतावनी दी, ‘‘डीवीसी अभी भी पानी छोड़ रहा है। दो और दबाव बनेंगे, जिससे अतिरिक्त जिलों में भारी बारिश होगी। अगर फिर से बारिश होती है और डीवीसी अधिक पानी छोड़ता है, तो स्थिति और खराब हो जाएगी।’’ उन्होंने जनता को अपने प्रशासन के सहयोग का आश्वासन दिया तथा सभी अधिकारियों, सांसदों और विधायकों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित लोगों तक पहुंचें तथा यह सुनिश्चित करें कि उन्हें आवश्यक राहत सामग्री और दवाएं मिलें। (इनपुट- पीटीआई भाषा)